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100 साल की प्यारी सी बच्ची या "Laadli of the Century" आपको कैसे याद हैं यूपी की यह अभिनेत्री

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वह 100 साल की 'एक प्यारी सी छोटी सी बच्ची की तरह हैं। जिसकी इस उम्र में भी असीमित ऊर्जा देखते ही बनती है। मैंने उन्हें कभी भी निराश या किसी दुविधा में नहीं देखा वो हमेशा हंसती, खिलखिलाती रहती हैं।' यह शब्द सदी के महानायक ने मशहूर अभिनेत्री जोहरा सहगल के बारे में उनके 100वें जन्मदिन पर कहा था। 27 अप्रैल 1912 को यूपी के सहारनपुर में जन्मी जोहरा ने सात दशक के अपने करियर में नृत्य, थिएटर और फ़िल्मों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।  न केवल फिल्मों में बल्कि असल जिंदगी में भी जोहरा के बहादुरी के जलवे रहें हैं। बचपन में बुर्के से विद्रोह, पायलट बनने के सपना, छोटी उम्र में यूरोप के बैले डांस में एडमिशन और आठ साल छोटे हिन्दू लड़के से शादी जैसे कई किस्से हैं तो उनकी वीरता बखान करने के लिए काफी है। आज जोहरा सहगल की 111वीं बिर्थ एनिवर्सरी पर आपको बताते हैं उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें।।

जोहरा सहगल का जन्म 27 अप्रैल साल 1912 में यूपी के सहारनपुर में एक सुन्नी परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम साहिबजादी जोहरा बेगम मुमताज उल्लाह खान था। जोहरा जब छोटी थी तभी उनका मां का निधन हो गया था। इसके बाद उन्होंने अपनी शुरूआती पढ़ाई लाहोर के क्वीन मैरी कॉलेज से की। पढ़ाई ख़त्म होने के बाद उनकी बड़ी बहन की शादी हो गई लेकिन उनकी शादीशुदा जिंदगी ज्यादा सफल नहीं रही। बहन का हाल देखकर जोहरा का भी शादी से मन हट गया और उन्होंने शादी न करने का फैसला ले लिया। जोहरा के पिता एक रूढ़ीवादी विचारधारा के थे जो चाहते थे कि हाई स्कूल के बाद जोहरा की शादी हो जाए। हालांकि, जोहरा पढ़ाई में बहुत अच्छी थी। जब जोहरा 15 साल की हुई तो घर में उनकी भी शादी की बातें होने लगी। कहा जाता है कि यह बात जब जोहरा के स्कूल प्रिंसिपल को पता चली तब उन्होंने जोहरा को दसवीं में तीन बार फेल किया। दरअसल वह नहीं चाहती थी कि एक होनहार बच्ची की पढ़ाई इतनी जल्दी छूट जाए।  

जब छोटी उम्र में यूरोप पहुंची जोहरा 
पढ़ाई के दौरान उनका रुझान एक्टिंग और डांसिंग की ओर बढ़ने लगा। हालांकि उनका सपना आगे चलकर पायलट बनने का था। जोहरा के मामा भी चाहते थे कि उन्हें जिंदगी में आगे बढ़ने का कम से कम एक मौका तो मिलना चाहिए। मामा ने बहुत आग्रह किया तो पिता ने उन्हें यूरोप ले जाने की परमिशन दे दी। यूरोप में उन्होंने मैरी विगमैन के बेली डांस स्कूल में एडमिशन लिया जहां उनकी मुलाकात मशहूर कोरियोग्राफर उदय शंकर से हुई। 

8 साल छोटे लड़के से की शादी 
1940 में जोहरा उदय शंकर के साथ भारत वापस लौट आई। यहां अल्मोड़ा में उन्होंने उदय शंकर कल्चर सेंटर में काम किया। यहां उनकी मुलाक़ात युवा वैज्ञानिक, पेंटर और डांसर कामेश्वर सहगल से हुई जो उनसे करीब 8 साल छोटे थे। दोनों ने शादी कर ली लेकिन यह बात दोनों के परिवार वालों को मंजूर नहीं थी। शादी के बाद जोहरा पति संग लाहौर चली गई और वहां दोनों ने ‘जोहरेश’ नाम से एक डांस स्टूडियो की शुरुआत की। भारत-पाक विभाजन के कुछ वक्त बाद ही उन्हें वापस भारत आना पड़ा। यहां मुंबई के पृथ्वी थिएटर में वह 400 रूपए प्रति माह पर काम करने लगी। 

कई फिल्मों में निभाया दादी का किरदार 
1946 में जोहरा ने चेतन आनंद की फिल्म नीचा नगर से डेब्यू किया। जानकारी के लिए बता दें कि कांस फिल्म फेस्टिवल तक पहुंचने वाली यह पहली भारतीय फिल्म थी। उन्होंने गुरु दत्त की फिल्म बाजी, राज कुमार की फिल्म आवारा में बतौर कोरियोग्राफर भी काम किया। उन्होंने हम दिल दे चुके सनम, कभी ख़ुशी कभी गम, वीर ज़ारा जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में दादी का रोल भी निभाया है।

मिले कई पुरस्कार
"लाडली ऑफ द  सेंचुरी" के टैग से फेमस जोहरा ने पृथ्वीराज कपूर से लेकर रणबीर कपूर तक की फिल्मों में रोल निभाया है। यहीं नहीं साल 1963 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1998 में पद्मश्री, 2001 में कालिदास सम्मान, 2002 पद्म भूषण, 2004 में संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप और 2010 में इन्हे पद्म विभूषण भी सम्मानित किया गया है।

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