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क्यों प्रसिद्ध है चौंसठ योगिनी मंदिर और दीपावली पर क्या है इस मंदिर का महत्व

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अगर आप रहस्य रोमांच और तंत्र मन्त्र  की कहानियों का शौक रखते है तो आज की हमारी ये स्टोरी आपके लिए.. आपको बतातें हैं कि क्यों  प्रसिद्ध है चौंसठ योगिनी मंदिर और दीपावली पर क्या है इस मंदिर का महत्व। मध्य प्रदेश में स्थित ग्वालियर भारत का एक ऐतिहासिक शहर होने के अलावा टूरिज्म का 'कोहिनूर' 'भी है इस शहर की खूबसूरती यहां के पुराने किले, खंडहर और स्मारक हैं, जो इसकी शान को और बढ़ाते हैं। ग्वालियर से 40 किलोमीटर में मुरैना जिले के पडावली के पास, मितावली गाँव हैं। जहां पर चौसठ योगिनी मंदिर स्थित है। जिसे एकट्टसो महादेव मंदिर भी कहा जाता है।

तांत्रिक विद्या के लिए प्रसिद्ध है मंदिर-

आपको बता दें कि  भारत में चार चौसठ योगिनी मंदिर हैं। लेकिन मध्य प्रदेश के मुरैना में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर सबसे प्राचीन और रहस्यमयी है। मुरैना में स्थित यह मंदिर तंत्र-मंत्र के लिए दुनियाभर में जाना जाता था। इस रहस्यमयी मंदिर को तांत्रिक यूनिवर्सिटी भी कहते थे। यहां पर दुनियाभर से लाखों तांत्रिक तंत्र-मंत्र की विद्या सीखने के लिए आते थे। कहते है वहाँ के बीहड़ आप पर सम्मोहन सा कर देंगे और रास्ते भर्मित। .... राजा-महाराजा इस मंदिर का इस्तेमाल तांत्रिक अनुष्ठानों को पूरा करने और अपने अंदर की कुंडलीनियों को जाग्रत करने के लिए किया करते थे।

सूर्यास्त के बाद यहां जाना मना है-

लगभग सौ फीट ऊँची एक अलग पहाड़ी के ऊपर स्थित ये मंदिर दूर से ही अपनी भव्यता और रहस्यों का प्रमाण देने लगता है। वहां की जमीं पर आपको तंत्र मन्त्र की अनुभूति तो होगी ही साथ में चेतवानी भी मिलेगी क्यों की सूर्यास्त के बाद वहां जाना सख्त मना है। इसके बावजूद भी अगर आप वहां जाते हैं तो इसके जिम्मेदर आप खुद होंगे। अर्थात जब तक सूरज की रोशनी रहती है तब तक ही मुसाफिरों का डेरा वहां देखने को मिलेगा चूंकि चौसठ योगिनी मंदिर शिव मंदिर है तो मंदिर के बिल्कुल सामने ही नंदी जी की मूर्ति विराजमान है। बस यही से शुरुआत होती है चौसठ योगिनी मंदिर के सफर की  

चौसठ योगिनी क्यों नाम पड़ा-

करीब 200 सीढ़ियां चढ़ने के बाद चौसठ योगिनी मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। यह मंदिर एक वृत्तीय आधार पर निर्मित है और इसमें 64 कमरे हैं। ख़ास बात  हर कमरे में एक-एक शिवलिंग बना हुआ है। मंदिर के मध्य में एक खुला हुआ मण्डप है, जिसमें एक विशाल शिवलिंग है। यह मंदिर 1323 ई में बना था। ये मंदिर कच्छप राजा देवपाल द्वारा बनाया गया था। हर कमरे में शिवलिंग के साथ देवी योगिनी की मूर्ति साथ थीं। इसी वजह से इसी मंदिर का नाम चौसठ योगिनी मंदिर पड़ा। यह मंदिर 101 खंभों पर टिका हुआ है। स्थानिय निवासी आज भी मानते हैं कि यह मंदिर आज भी शिव की तंत्र साधना के कवच से ढका हुआ है। यहां आज भी रात में रुकने की इजाजत नहीं है, ना तो इंसानों को और ना ही पंक्षी को। तंत्र साधना के लिए मशहूर इस मंदिर में शिव की योगनियों को जागृत किया जाता था। 

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