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कानपुर में साइबेरियन पक्षियों का किसने किया शिकार?

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ठंड के मौसम में हर साल भारत के कई क्षेत्रों में विदेशी मेहमानों का आना शुरू हो जाता है। ये मेहमान कोई और नहीं बल्कि साइबेरियन पक्षी होते हैं जो तालाबों, पोखरों, नदियों के किनारे देखने को मिल जाते है। इन पक्षियों को देखने, जनने और पसंद करने वालों के लिए यह एक मनमोहक नज़ारा होता है। हालांकि प्रतिवर्ष इन प्रवासी पक्षियों का शिकार और व्यापार कई बार चिंता पैदा कर देते हैं।
यूपी के कानपुर से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां महाराजपुर क्षेत्र में साइबेरियन पक्षियों का शिकार करते कुछ लोग देखे गए। जिसका वीडियो लगातार सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। यहां गंगा की धारा में अठखेलियां करते इन खूबसूरत पक्षियों को जाल में फंसाकर प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में पकड़ा जाता है। इन पक्षियों को ज़िंदा बोरियों में भरकर शहरों में जाकर ऊंचे दामों में बेच दिया जाता है। इन पक्षियों को जाल में फंसाने से लेकर बेचने तक शिकारी क्रूरता की सारी हदें पार कर देते है। 

पक्षियों को पकड़ने के लिए बिछाया जाता है जाल-

जानकारी के मुताबिक पक्षियों का शिकार करने वाले सबसे पहले गंगा के पानी में जाल बिछाते हैं। स्प्रिंगनुमा जाल में दो-तीन ज़िंदा साइबेरियन पक्षियों की चोच व आंखे धागे से सिलकर जाल में ही बांध दिया जाता है। इस जाल से बंधी लगभग दो सौ मीटर लंबी रस्सी हाथ में लेकर शिकारी रेत में छिप जाते हैं। नदी के ऊपर उड़ता हुआ साइबेरियन पक्षियों का झुंड नीचे पानी में तैरते साथियों को देखकर जाल के ऊपर आकर बैठ जाता है। इसी बीच शिकारी रस्सी खींच लेते हैं और जाल पूरी तरह से बंद हो जाता है। इन पक्षियों को जाल से बाहर निकालकर इनके पंख तोड़ दिए जाते हैं जिससे की वह उड़ न पाएं। चोंच व आंखों को धागे से सिल दिया जाता है और कानों में रुई लगा दी जाती है। सभी को एक साथ बांधकर जिंदा ही बोरियों में भरकर खरीदारों को महंगे दामों में बेच दिया जाता है। 

मामले से पुलिस बेखबर-

पिछले कुछ वर्षों की बात करें तो गंगा किनारे गांवों में शिकारी सक्रिय हो गए हैं। वहीं प्रशासन की मिलीभगत से शिकारियों का धंधा भी खूब फलफूल रहा है। इस मामले पर महाराजपुर थाना प्रभारी अभिषेक शुक्ला ने बताया कि फिलहाल इस विषय में जानकारी नहीं है। अगर ऐसा हो रहा है तो यह गंभीर अपराध है। शिकारियों की धरपकड़ के लिए पुलिस की एक टीम भेजी जा रही है। आरोप सिद्ध होने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
 मालूम हो कि साइबेरिया से साइबेरियाई क्रेन जैसे पक्षी सर्दियों के महीनों में भारत आते हैं  क्योंकि वे ठंडे खून वाले पक्षी हैं और अपने देश की अत्यधिक सर्दियों में जीवित नहीं रह सकते हैं। सर्दियों के दौरान खाद्य उत्पादन और उपलब्धता भी कम हो जाती है, जो भारत में उनके प्रवास का प्रमुख कारण है।

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