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बांग्लादेश संकट का नोएडा से क्या है नाता? खतरे में 500 करोड़ का व्यापार

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बांग्लादेश संकट से आप सभी लोग वाक़िफ़ हो चुके होंगे। इसी से जुड़ा एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है। दरअसल बांग्लादेश संकट से नोएडा के रेडीमेड गारमेंट्स निर्यातक थोड़े पॉजिटिव हुए हैं और थोड़ा नेगेटिव भी। बांग्लादेश ने साल 2023 में लगभग 47 बिलियन डॉलर का टैक्सटाइल निर्यात किया था। इस साल इसके 50 डॉलर बिलियन से अधिक होने की उम्मीद थी, लेकिन, देश में फैली हिंसा ने कपड़ा उद्योग को नुकसान पहुंचाया है और लगातार काम बंद होने से वे निर्यात आर्डर पूरा करने की स्थिति में नहीं हैं। यानी बांग्लादेश के इस संकटपूर्ण स्थिति से न केवल वहां की राजनीति बल्कि अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो रही है।

तीन महीने में 8 से 10 बिलियन डॉलर के मिलेंगे ऑर्डर-

नोएडा के रेडिमेड गारमेंट्स निर्यातक इस संकट को एक अवसर के रूप में देख रहे हैं। उनके अनुसार, बांग्लादेश की स्थिति के कारण विदेशी ऑर्डर अब भारत को ज़्यादा मिलेंगे। इससे उन्हें अगले तीन महीने में 8 से 10 बिलियन डॉलर के ऑर्डर मिलने की संभावना है।

भारत के रेडिमेड गारमेंट्स निर्यातकों को मिलेगा सीधा लाभ-

बांग्लादेश रेडिमेड गारमेंट्स के कारोबार में एक प्रमुख केंद्र रहा है। जारा और मैंगो जैसे बड़े ब्रांड अक्सर बांग्लादेश से ही अपने ऑर्डर तैयार कराते हैं। लेकिन अब, स्थिति बदलने के कारण ये ब्रांड भारत की ओर लौट सकते हैं, जिससे नोएडा के निर्यातकों को लाभ हो सकता है। हालांकि, यहाँ एक चुनौती भी है। दरअसल भारत में गारमेंट्स पर 9 प्रतिशत ड्यूटी और अन्य टैक्स हैं, जिससे भारतीय गारमेंट प्रोडक्ट थोड़े महंगे पड़ते हैं। वहीं, वियतनाम, चीन, और इंडोनेशिया जैसे देशों में सरकारी सुविधाओं की वजह से उत्पाद सस्ते होते हैं। अगर भारत अपने टैक्स और ड्यूटी में छूट देता है, तो भारतीय निर्यातकों को इन ऑर्डर्स को लुभाना आसान हो सकता है। एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैन्यूफैक्चरर्स ने भी पुष्टि की है कि बांग्लादेश की स्थिति का भारत के रेडिमेड गारमेंट्स निर्यातकों को सीधा लाभ मिलेगा।

बांग्लादेश संकट का भारत पर नकारात्मक असर-

बांग्लादेश के संकट का कुछ नकारात्मक असर भी हो सकता है। बांग्लादेश में ज़्यादातर टीशर्ट का उत्पादन भारत से आने वाले कपड़ों पर निर्भर है। इन हालात के कारण भारत के कपड़ा निर्यातकों को भी नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, वियतनाम की गुणवत्ता और सस्ते गारमेंट्स की वजह से विदेशी ऑर्डर वहां की ओर भी जा सकते हैं। बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति ने व्यापारिक दृष्टिकोण से कई परेशानियां खड़ी हो गई हैं, लेकिन इसका असर भारत के उद्योगों पर भी साफ नजर आ रहा है। समय ही बताएगा कि ये बदलती परिस्थितियाँ किस दिशा में मोड़ लेंगी।

बांग्लादेश संकट का  कानपुर उद्योग पर असर-

बांग्लादेश में तख्तापलट का सीधा असर देश-प्रदेश ही नहीं बल्कि जिलो में भी पड़ा है। कानपुर के 150 करोड़ के ऑर्डर रोक दिए गए हैं। यह ऑर्डर शहर के उद्यमियों ने पड़ोसी देश को भेजे थे। सालाना 500 करोड़ रुपए से ज्यादा के कारोबार पर संकट के बादल हैं। इसे लेकर उद्यमी ही नहीं बल्कि आर्थिक विशेषज्ञ भी सकते हैं। माना जा रहा है कि मौजूदा हालत से सालों पुराने व्यापारिक संबंधों का ढांचा पूरी तरह बदल जाएगा।

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