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यूपी एसटीएफ द्वारा हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष सहित 4 सदस्यों की गिरफ्तारी पर ADG STF अमिताभ यश का बयान आया है। ADG STF ने कहा है कि ये पूरा मामला फर्जी हलाल सर्टिफिकेट (Fake Halal Certificate) जारी कर अवैध धन कमाने का है। ये संस्था हलाल सर्टिफिकेट (Halal Certificate) जारी करने के लिए किसी भी सरकारी संस्था से अधिकृत नहीं है। कई बड़ी कंपनियों के व्यापारिक हित प्रभावित होने का भय दिखाकर ये संस्था धन उगाही कर रही थी। एडीजी एसटीएफ (ADG STF) ने बताया कि बगैर सैंपल लिए, बगैर लैब परीक्षण किए सर्टिफिकेट दिए जा रहे थे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कमाई गई रकम कहां खर्च की गई, इसकी भी जांच की जा रही है। अमिताभ यश के मुताबिक इसको धर्म का डर दिखाकर धन वसूली का मामला कहा जा सकता है। ये सिंडिकेट काफी बड़ा है लिहाजा विस्तृत जांच जारी है।
इन लोगों की हुई गिरफ्तारी-
आपको बता दें कि UP STF को हलाल सर्टिफिकेशन के नाम पर जबरन वसूली करने की सूचना मिली थी। इसके बाद यूपी एसटीएफ ने हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मौलाना हबीब युसूफ पटेल, उपाध्यक्ष मौलाना मुईदशीर सपडीहा, जनरल सेक्रेटरी मुफ़्ती ताहिर जाकिर और कोषाध्यक्ष मोहम्मद अनवर खान को गिरफ्तार कर लिया है। इनके पास से 4 आधार कार्ड, 4 पैन कार्ड, 3 मोबाइल फोन, 4 एटीएम कार्ड, 21 हजार 820 रुपये की नकदी, तीन ड्राइविंग लाइसेंस, एक आरसी और 2 वोटर कार्ड भी जब्त किए गए हैं। वहीं जांच में पता चला है कि हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया प्रति सर्टिफिकेट 10 हजार रूपए वसूलती थी। काउंसिल को प्रमाण पत्र जारी करने का कोई कोई अधिकार भी नहीं था।
बगैर किसी जांच के देते थे सर्टिफिकेट-
आपको बता दें कि हलाल सर्टिफिकेट के नाम पर ना कोई जांच होती थी और ना ही कोई लैब टेस्टिंग की जाती थी। इसके बावजूद हलाल सर्टिफिकेट देने के नाम पर सिर्फ सिर्फ अवैध वसूली होती थी। ऐसा करने का काउंसिल के पास कोई अधिकार नहीं था। ऐसे में यूपी एसटीएफ ने काउंसिल से जुड़े अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित अन्य सदस्यों की गिरफ्तारियां कल शाम की थीं। इसके साथ ही यूपी एसटीएफ फंडिंग का इस्तेमाल कहां किया जा रहा है इसकी भी जांच कर रहा है।
क्या है हलाल सर्टिफिकेट-
आसान शब्दों में कहे तो ‘हलाल सर्टिफिकेशन’ को इस बात की गारंटी माना जाता है कि संबंधित प्रोडक्ट को मुस्लिमों के हिसाब से तैयार किया गया है। उसमें किसी तरह की मिलावट नहीं है और उसमें किसी ऐसे जानवर या उसके बाय-प्रोडक्ट का इस्तेमाल नहीं हुआ है, जिसे इस्लाम में ‘हराम’ माना गया है। आम तौर पर हलाल सर्टिफिकेशन वेज और नॉन-वेज दोनों तरह के सामान के लिए होता है।
Baten UP Ki Desk
Published : 13 February, 2024, 5:15 pm
Author Info : Baten UP Ki