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उत्तराखंड उत्तरकाशी टनलः 120 से अधिक घंटे से फंसे 40 मजदूरों की बिगड़ी तबीयत

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उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिल्क्यारा टनल में मलबे में फंसे 40 मजदूरों की रेस्क्यू ऑपरेशन में शुक्रवार को आई एक बड़ी बाधा ने रेस्क्यू स्पीड को काफी कम कर दिया है। ऑगर मशीन के सामने भारी पत्थर आ जाने से पाइप डालने में दिक्कत हो रही है। लैंडस्लाइड में टनल में मलबे के साथ बड़े बोल्डर भी फंसे हुए हैं। 30 फीट की ड्रिलिंग के बाद इनके मशीन के सामने आने से ऑगर मशीन को भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। साथ ही दोपहर 11.45 के बाद दो घंटे के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन भी रोकना पड़ा।

टनल में फंसे मजदूरों का आज 6 दिन-

आपको बता दे कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी के टनल मलबे में फंसे 40 मजदूरों को आज 6 दिन हैं और इनमें फंसे से अब कई लोगों की तबीयत भी खराब होने लगी हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, आज भी दो मजदूरों की तबीयत बिगड़ने की खबर मिली है। इनमें से एक मजदूर को सांस लेने में तकलीफ हो रही है, जबकि दूसरे मजदूर को सीने में दर्द हो रहा है। दोनों मजदूरों को ऑक्सीजन दी जा रही है। हांलाकि इससे पहले भी एक मजदूर की तबीयत खराब हो चुकी है। 

पाइप के जरिये पहुंचाया जा रहा जरुरत का समान-

रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि मलबे में फंसे मजदूरों तक पाइप के जरीये ऑक्सीजन से लेकर खाने पीने की चीजे पहुंचाई जा रही हैं। अंदर फंसे लोगों को खाने के लिए भुने और अंकुरित चने, बिस्किट, ड्राई फ्रूट्स चिप्स और दवाइयां भेजी जा रही हैं। साथ ही ग्लूकोज और पानी की सप्लाई भी लगातार की जा रही है। इतना ही नहीं सुबह, दोपहर और शाम को अंदर फंसे मजदूरों की  बात इनके परिजनों या टनल बनवा रहे अधिकारियों से भी करवाई जा रही है।

नेशनल हाईवेज एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (NHIDCL) के डायरेक्टर अंजू मनीष ने बताया कि इंदौर से बैकअप के लिए एक और मशीन एयरलिफ्ट की जा रही है। इससे रेस्क्यू ऑपरेशन को और तेजी मिलेगी। उन्होंने कहा कि मशीन के सामने कठोर चीज आ जाने के बाद से फिर से काम शुरू कर दिया गया है। ऑगर मशीन के जरिए 6 फीट लंबे चार पाइप मलबे में रास्ता बनाते हुए अंदर भेजे जा चुके हैं। इस ऑपरेशन में थाईलैंड, नार्वे, फिनलैंड समेत कई देशों के एक्सपर्ट से ऑनलाइन सलाह ली जा रही है। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में प्रशासन ने 200 से अधिक लोगों को लगाया है। ऑगर मशीन के अलावा जेसीबी, क्रेन और अन्य मशीनों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

 

 

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