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(Special Story) उत्तर प्रदेश की एसटीएफ ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए 1 लाख के इनामी कुख्यात बदमाश विनोद उपाध्याय को एनकाउंटर में ढेर कर दिया है। सुल्तानपुर में जब एसटीएफ की टीम उसे पकड़ने गई तो उसने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। जिसकी जवाबी कार्रवाई में वो मारा गया। विनोद के ऊपर कुल 35 मुकदमें विभिन्न जनपदों के भिन्न-भिन्न थानों में दर्ज हैं, जिसमें हत्या व हत्या के प्रयास के कई मुकदमे भी शामिल हैं। लेकिन कैसे अयोध्या के रहने वाले एक मामूली से सख्श पर इतने मुकदमें दर्ज हुए कैसे उसने गुनाहों की दुनिया में कदम रखा और देखते ही देखते यूपी के माफिया बन गया। तो आइये इन सब बातों को हम विस्तार से जानतें हैं....
BSP के टिकट पर विधानसभा का लड़ा था चुनाव
आपको बता दे कि विनोद उपाध्याय यूपी के माफियाओं की टॉप 10 लिस्ट में शामिल था। उसने साल 2007 में गोरखपुर से बीएसपी के टिकट पर विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था लेकिन वो हार गया था। हांलाकि वह मुख्य रुप से मूल रूप से अयोध्या जिले के पुरवा का रहने वाला था, लेकिन विनोद उपाध्याय की गोरखपुर, संतकबीरनगर, बस्ती और लखनऊ के अपराध जगत में तूती बोलती थी। उसने इन जिलों में हत्या की सनसनीखेज वारदातों को अंजाम दिया था। हालांकि विनोद को करीब से जानने वाले बताते हैं कि अपराध की दुनिया में उसने जेल में बंद रहे एक अपराधी से बदला लेने के लिए कदम रखा था। जीत नारायण मिश्र नाम के इस अपराधी से साल-2004 में विनोद उपाध्याय का कुछ विवाद हो गया था। बताते हैं कि तब जीत नारायण मिश्र ने उसे थप्पड़ जड़ दिया था। विनोद को यह इतना नागवार लगा कि उसने जीतनारायण से बदला लेने की ठान ली। अगले साल यानी 2005 में जीत नारायण जेल से बाहर आया तो पहला मौका मिलते ही विनोद उपाध्याय ने संतकबीरनगर के बखिरा के पास उसकी हत्या कर दी।
आरोपी के खिलाफ 35 मुकदमें थे दर्ज-
इसके बाद वह एक से बढ़कर एक जुर्म करता गया। उसने कई जिलों के युवाओं को अपने साथ शामिल किया और देखते ही देखते पूर्वांचल के कई जिलों में एक संगठित गिरोह की तरह काम करने लगा। उसने लोगों के दिलों में अपने प्रति इतनी दहशत पैदा कर दी कि कोई भी आम आदमी उसके खिलाफ गवाही देने से डरता था और एक के बाद एक धीरे- धीरे उस पर 35 मुकदमें किए गए। इसके बाद गोरखपुर की पुलिस ने विनोद कुमार उपाध्याय को पकड़ने के लिए उसके सर पर 1 लाख रुपये का इनाम घोषित कर दिया।
7 महीने से ढूंढ रही थी एसटीएफ की टीम
आपको बता दे कि गोरखपुर की क्राइम ब्रांच की टीम विनोद उपाध्याय को करीब 7 महीने से ढूंढ रही थी और लखनऊ समेत यूपी के तमाम जिलों में उसकी तलाश की जा रही थी। जून, 2023 में गोरखपुर पुलिस की एक टीम जब विनोद को ढूंढने उसके लखनऊ स्थित फ्लैट पहुंची तो कई हैरान करने वाली जानकारियां मिलीं। यहां विनोद के पड़ोसी उसे पूर्व मंत्री के रूप में जानते थे। लखनऊ में विनोद उपाध्याय के दो फ्लैट हैं। एक में वह अपने साले के साथ रहता था जबकि दूसरे में उसके गैंग के लोग रहते थे। सर्विलांस की मदद से गोरखपुर की पुलिस टीम जब तक यहां पहुंचती, तब तक माफिया अपने साथियों के साथ फ्लैट पर ताला माकर फरार हो चुका था।
लखनऊ में भी विनोद पर मुकदमें हुए दर्ज-
वहीं गोरखपुर के कैंट इलाके में दाउदपुर में रहने वाले पूर्व सहायक जिला सरकारी वकील प्रवीण श्रीवास्तव ने माफिया विनोद उपाध्याय, उसके भाई संजय, नौकर छोटू समेत कई के खिलाफ रंगदारी मांगने और तोड़फोड़ करने का मुकदमा दर्ज कराया था। उन्होंने आरोप लगाया कि सलेमपुर में उनकी जमीन है। विनोद उपाध्याय उनको इस जमीन का जबरन बैनाम करने या प्रति प्लाट पांच लाख रुपये रंगदारी देने का दबाव बना रहा है। गुलरिहा थाने की पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर नौकर छोटू को गिरफ्तार कर लिया था।
STF की जवाबी कार्रवाई में मारा गया माफिया-
मिली हुई जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार को तड़के जब एसटीएफ की टीम ने उसे घेरा तो वो बचने के लिए फायरिंग करने लगा। उसने एसटीएफ टीम पर कई राउंड फायरिंग की जिसके बाद जवाबी कार्रवाई में उसे एसटीएफ की गोली लगी। गोली लगने के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसकी मौत हो गई।
Baten UP Ki Desk
Published : 5 January, 2024, 2:11 pm
Author Info : Baten UP Ki