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वाराणसी में मिली अनोखी सजा, नहीं दी सूचना तो अब बच्चों को खिलाओ!

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वाराणसी में एक ऐसी अनोखी सजा दी गई है जो चर्चा का विषय बनी हुई है। ऐसी सजा अपने बहुत कम ही सुनी होगी। दरअसल सूचना के अधिकार अधिनियम यानि RTI के तहत बिजली बिल से जुड़े मामले में सूचना ना देना ने पर यह सजा सुनाई गई है। वाराणसी सर्किल सेकंड के अधीक्षण अभियंता अनिल वर्मा, नगरीय विद्युत मंडल तृतीय के अधिशासी अभियंता आरके गौतम, मैदागिन के तत्कालीन एसडीओ रवि आनंद और चौक एसडीओ सर्वेश यादव को दो अनाथालय के बच्चों को एक वक्त का भोजन कराने का दंड दिया गया है। सजा के तहत अफसर 24 फरवरी को अनाथालय के बच्चों को भोजन कराएंगे। सजा में यह भी कहा गया है कि खाने की कीमत 25 हजार रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। यह दंड राज्य सूचना आयोग ने सांकेतिक तौर पर दिया है। 
 
क्या था पूरा मामला-

आपको बता दें कि वाराणसी के सप्तसागर निवासी उमा शंकर यादव ने  आयोग में शिकायत की थी कि उनके पिता बसंतु यादव के नाम पर बिजली विभाग ने  2 लाख 24 हजार 741 रुपये का बिल भेजा है। नगरीय विद्युत खंड तृतीय, मच्छोदरी द्वारा भेजे गए बिल पर कनेक्शन का वर्ष 1911 अंकित किया गया है। जबकि 1911 में बिजली उपलब्ध ही नहीं थी। उमा शंकर की तरफ से RTI के तहत कनेक्शन संख्या 184352100 के रिकॉर्ड की जानकारी मांगी गई थी। लेकिन अधिकारियों ने जानकारी न देते हुए वसूली नोटिस जारी कर दिया। 

राज्य सूचना आयुक्त ने सुनाई सजा-

उमाशंकर यादव की शिकायत पर राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने सुनवाई कर विभाग के संबंधित अधिकारियों से कई बार जानकारी मांगी। लेकिन न तो अधिकारियों ने कोई जानकारी दी और न ही उपस्थित हुए। फिर आयोग की तरफ से यह जानकारी मांगी गई कि क्या 1911 में वाराणसी में बिजली थी। अगर बिजली थी तो एक यूनिट का रेट क्या था? इसके बाद चारों आरोपी अधिकारियों को गिरफ्तार  कर 20 जनवरी को पेश करने का आदेश दिया गया। 

अधिकारियों ने मांगी माफ़ी-

पुलिस ने सभी आरोपियों को आयोग के सामने पेश किया जहां सभी ने माफ़ी मांगी और उमाशंकर का बिजली बिल घटाकर 3 हजार 998 रुपए कर दिया गया और रिकवरी नोटिस भी रद्द कर दी गई। लेकिन सूचना आयुक्त ने सांकेतिक दंड के तौर पर सभी आरोपियों को दो अनाथालयों के बच्चों को एक वक्त का भोजन करवाने की सजा सुनाई। 

 

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