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स्वर्वेद मंदिर में नहीं है किसी देवी-देवता की मूर्ति, पीएम मोदी ने किया उद्घाटन, जानिए खासियत

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(Special Story) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज काशी दौरे के दूसरे दिन उमरहा स्थित स्वर्वेद महामंदिर का का उद्घाटन किया। इस दौरान पीएम मोदी के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। लोकार्पण के बाद पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक साथ मंदिर का भ्रमण किया। पीएम मोदी ने अपने भ्रमण के दौरान विहंगम योग में भी हिस्सा लिया। 20 साल में 100 करोड़ की लागत से 7 मंजिला यह मंदिर बनकर तैयार हुआ है। पीएम मोदी ने मंदिर की दीवारों पर उकेरी गई अद्भुत नक्काशी देखी। जिसके बाद जनसभा को भी संबोधित किया। पीएम मोदी ने इस मौके पर जनता को 9 संकल्प दिलाए। उन्होंने कहा कि गरीबी मिटाने के लिए कम से कम एक गरीब परिवार का संबल बनिए उसकी मदद कीजिए। इसके साथ ही विस्तार से जानते हैं स्वर्वेद महामंदिर के बारे आखिर क्या है इस मंदिर की खासियत...

पीएम मोदी ने वाराणसी में जनता को संबोधित करते हुए दिए  9 संकल्प- 

संत सदाफल महाराज ने कराया मंदिर निर्माण-

पीएम नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के चौबेपुर इलाके के उमरहा में बने स्वर्वेद मंदिर का उद्घाटन किया। विहंगम योग संस्थान के प्रणेता  संत सदाफल महाराज की तरफ से इस मंदिर का निर्माण कराया गया है। संत सदाफल महाराज के विश्व के दर्जनों देशों में आश्रम हैं। वाराणसी का यह आश्रम सबसे बड़ा है। करीब 20 वर्षों से इस आश्रम के निर्माण की योजना पर काम चल रहा था। 

मंदिर खासियत, 20 हजार लोग कर सकते हैं योग-

राजस्थान के मकराना मार्बल से बने इस मंदिर की खासियत की चर्चा आज हर तरफ हो रही है। इसे स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना बताया जा रहा है। सात मंजिला यह मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा बड़ा मेडिटेशन सेंटर बताया जा रहा है। इस मंदिर में 20 हजार लोग एक साथ योग और ध्यान कर सकते हैं।  यह मंदिर 64 हजार वर्गफीट में बना हुआ है। इसकी ऊंचाई 180 फीट है। स्वर्वेद मंदिर के निर्माण की शुरूआत वर्ष 2004 में हुई थी। पिछले 19 वर्षों के अथक प्रयास ने इस मंदिर को आकार दिया है। यह मंदिर 200 एकड़ परिसर में फैला हुआ है। इस मंदिर की दीवारों पर स्वर्वेद के 4000  दोहे अंकित किए गए हैं।

मंदिर में होती है योग- साधना की पूजा- 

इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां पर भगवान की नहीं बल्कि योग- साधना की पूजा होती है। मंदिर की दीवारों पर अद्भुत नक्काशी की गई है। पीएम नरेंद्र मोदी ने इस मंदिर के पहले चरण का लोकार्पण किया। पीएम मोदी इससे पहले मंदिर में वर्ष 2021 में भी  आए थे। इसी दौरान उन्होंने इस मंदिर के लोकार्पण का निमंत्रण स्वीकार किया था। स्वर्वेद महामंदिर के लोकार्पण के साथ ही संत सदाफल महाराज की 135 फीट ऊंची प्रतिमा का शिलान्यास भी पीएम मोदी ने किया है।

पीएम की मां हीराबा का रहा है जुड़ाव-

आपको बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी का स्वर्वेद से जुड़ाव इसलिए भी रहा है क्योंकि उनकी मां हीराबा अंतिम समय तक स्वर्वेद धाम से जुड़ी रही थीं।  पीएम मोदी के भाई भ स्वर्वेद से जुड़े हुए हैं। स्वर्वेद महामंदिर धाम की मीडिया प्रभारी इंदू प्रकाश के मुताबिक स्वर्वेद दो शब्दों से बना है। स्वः और वेद। स्वः का मतलब आत्मा और परमात्मा से होता है। जबकि वेद का मतलब ज्ञान है। आत्मा और परमात्मा का ज्ञान जिसके जरिए हो, वह ही स्वर्वेद है। उन्होंने बताया कि हमारे विहंगम योग संस्थान के प्रणेता संत सदाफल महाराज ने 17 वर्षों तक हिमालय में स्थित आश्रम में गहन साधना की। वहां से उन्हें जो ज्ञान प्राप्त हुआ उसे ही ग्रंथ के रूप में पिरोया गया है। उसी ग्रंथ का नाम स्वर्वेद है।

4000 दोहे दीवारों पर अंकित-

मंदिर सभी तलों पर अंदर की दीवार पर लगभग 4000 स्वर्वेद के दोहे लिखे गए हैं। बाहरी दीवार पर 138 प्रसंग वेद उपनिषद, महाभारत, रामायण, गीता आदि के प्रसंग पर चित्र बनाए गए हैं। ताकि लोग उससे प्रेरणा लें सकें। विहंगम योग संत समाज का 100वां वार्षिकोत्सव रविवार से शुरू हुआ है। इस मौके पर 25,000 कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ का अयोजन किया गया है। इसमें लाखों साधक एवं साधिकाएं सभी के कल्याण की कामना के साथ वेदध्वनि के बीच आहुतियां दे रहे हैं। 

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