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देश को मिले हजारों संस्कृत स्कॉलर्स आयुर्वेदाचार्य और ज्योतिषाचार्य...

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आज जब संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का 41वां दीक्षांत समारोह शुरू हुआ। तब 180 मिनट में कुल 5000 से ज्यादा संस्कृत शब्द बोले गए। इसके साथ ही हजारों संस्कृत स्कॉलर्स आयुर्वेदाचार्य, ज्योतिषाचार्य, वास्तुशास्त्री और आचार्य बने। उनके हाथों में  उपाधि थमाई गई। आज विश्वविद्यालय में कुल 14167 उपाधियां और 30 मेधावियों को 59 मेडल दिए गए। इसके साथ ही संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में भारत के प्राचीन ज्ञान-विज्ञान से परिचित कराने वाले 1.16 करोड़ के लैब का उद्घाटन भी किया गया।

आपको बता दें कि इस आयोजन में चंद मेधावियों और विद्वानों के अलावा संस्कृत के ज्यादातर शब्द भले कुछ लोगों के समझ में न आए हों लेकिन लोगों का कहना है कि भारत की 2500 साल प्राचीन गुरूकुल शिक्षा शिक्षा पद्धति इस  विश्वविद्यालय में LIVE देखकर उनको काफी अच्छा लगा। आज भी 2500 साल प्राचीन तक्षशिला और 1800 साल प्राचीन नालंदा यूनिवर्सिटी की तर्ज पर ही वाराणसी के संस्कृत विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह किया जा रहा है।

मंच संचालन से वेलकम नोट तक संस्कृत में-

गौरतलब है कि मंच संचालन, आपसी बातचीत, मेहमानों का स्वागत, उपाधियों का वितरण, दीक्षांत भाषण से लेकर कुलपति का भाषण, कुलपति का वेलकम नोट, मेडल विजेताओं का परिचय आदि सब कुछ शुद्ध  संस्कृत में हुआ। यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने ही हिंदी में अपनी बात कही। बाकी 22 विभागों के अध्यक्ष, डीन, चीफ गेस्ट, कुलपति आदि सभी ने अपना उद्बोधन संस्कृत में ही दिया। कुलाधिपति और राज्यपाल आनंदी बेन पटेल की अध्यक्षता में इस दीक्षांत समारोह का आयोजन हुआ। चीफ गेस्ट केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी ने अपना दीक्षांत भाषण दिया। विशिष्ट अतिथि उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री  योगेंद्र उपाध्याय भी मौजूद रहे।

लैब में 10 कोर्स के विद्वानों ने ली LIVE क्लास-

दीक्षांत समारोह के बाद ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र के लैब का  उद्घाटन राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने किया। यूपी सरकार के सहयोग से 1 करोड़ 16 लाख रुपए से इसे तैयार किया गया है। देश-विदेश में भारतीय ज्ञान परंपरा के बड़े स्तर पर प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी इस लैब पर होगी। इस लैब से घर बैठे लोगों को भारत की प्राचीन विधाओं और ज्ञान- विज्ञान से परिचय कराया जा सकेगा। इसके जरिए अपनी जड़ों से जोड़ा जा रहा है। इस सेंटर से 10 कोर्सेज का संचालन भी किया जा रहा है। लैब में आकर प्रोफेसर और विद्वान अपनी ऑनलाइन क्लास चलाते हैं।

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