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(Special Story) इस भागदौड़ भरी जिंदगी में चाहे प्राइवेट हो या सरकारी, नौकरी करने वाले तकरीबन सभी लोगों को छुट्टी का बेसब्री से इंतजार रहता है। लेकिन क्या आपने कभी ऐसे व्यक्ति के बारे में सुना है जिसे छुट्टी लेना ही पसंद ना हो। अगर नहीं तो आज हम आपको ऐसे ही एक व्यक्ति के बारे में बताएंगे जिन्होंने छुट्टी न लेकर एक रिकॉर्ड बना दिया है। यह शख्स रविवार के दिन भी ऑफिस में मौजूद रहता है। यहां तक होली-दिवाली या कोई भी त्योहार हो, वह छुट्टी नहीं लेता और हमेशा दफ्तर में मौजूद रहता है। इस शख्स ने 26 सालों के अंदर सिर्फ 1 दिन की छुट्टी ली है। ये शख्स कौन हैं क्या करते हैं और आजकल क्यों सुर्खियों में हैं बताएंगे सबकुछ विस्तार से....
26 साल में सिर्फ 1 छुट्टी-
आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर ये शख्स है कौन? हम बताते हैं इनका नाम तेजपाल सिंह है। तेजपाल सिंह उत्तर प्रदेश के बिजनौर के रहने वाले हैं। तेजपाल सिंह अभी जिस कंपनी में काम कर रहे हैं वह उन्होंने साल 1995 में ज्वाइन की थी लेकिन अभी तक उन्होंने सिर्फ 1 ही छुट्टी अपनी कंपनी से ली है। वो भी अपने छोटे भाई की शादी के लिए।
1995 को शुरू किया था काम-
बिजनौर के तेजपाल सिंह पुत्र हरि सिंह गांव सूफीपुर अंगद उर्फ मुगलवाला के रहने वाले हैं। द्वारिकेश शुगर इंडस्ट्रीज लिमिटेड बुंदकी में 26 दिसंबर 1995 को ट्रेनी क्लर्क के पद से नौकरी की शुरुआत करने वाले तेजपाल सिंह वर्तमान समय में कार्यालय में अपर प्रबंधक पर्सनल के पद पर तैनात हैं। वे हमेशा अपने काम पर समय से आते हैं। कंपनी की ओर से साप्ताहिक छुट्टी, पर्व पर अवकाश के अतिरिक्त भी एक साल में करीब 45 छुट्टियों का प्रावधान है। मगर उन्होंने 1995 से 2021 तक मात्र एक छुट्टी 18 जून 2003 को अपने छोटे भाई की शादी में ली थी।
रविवार को भी जाते है कार्यालय-
तेजपाल के मुताबिक वो रविवार और त्योहार पर भी अक्सर कार्यालय जाते हैं। कोई घरेलू काम हुआ तो रविवार को थोड़ा समय निकालकर कार्य निपटाते हैं। कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिशासी उपाध्यक्ष (वर्क्स) एनके खेतान और उप महाप्रबंधक पर्सनल एलबी सिंह की ओर से उन्हें इस संबंध में प्रमाण पत्र दिया गया है। इसके आधार पर उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में इसी सप्ताह दर्ज किया गया है।
इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ नाम-
आपको बता दें कि तेजपाल सिंह ने सबसे कम छुट्टी लेने का रिकॉर्ड भी अपने नाम बना लिया है। ये सबसे कम छुट्टी लेने का रिकॉर्ड है। 26 सालों में सिर्फ 1 दिन की छुट्टी लेने वाले तेजपाल सिंह का भरा-पूरा परिवार है। तेजपाल सिंह के 2 छोटे भाई हैं और उनके खुद के 2 लड़के और 2 लड़कियां हैं। वह अपने दोनों छोटे भाइयों के साथ संयुक्त परिवार में ही रहते हैं।
पिता से ली सीख, बनीं प्रेरणा-
तेजपाल सिंह बताते हैं कि उनके पिताजी हरि सिंह उन्हें काम से अनावश्यक छुट्टी नहीं लेने की सीख हमेशा देते थे। उनके गांव से चीनी मिल करीब 12 किलोमीटर दूर है। गांव से बस के मुख्य मार्ग तक आने जाने के लिए यातायात का कोई साधन नहीं होने पर उनका छोटा भाई मनोज कुमार प्रतिदिन उन्हें बाइक से बस मार्ग पर छोड़ता है और वापसी में लेकर जाता है। पत्नी प्रवेश देवी भी उन्हें पूर्ण सहयोग देती हैं।
वीक डे काम करने पर विचार-
तेजपाल सिंह ने ये रिकॉर्ड ऐसे समय में बनाया है, जब कंपनियों में छुट्टी को लेकर बहस चल रही। बहुत सी कंपनियों में 5 डे वर्क कल्चर लागू हो गया है। मगर अब कुछ देश 3-4 डे वर्क कल्चर की बात कर रहे हैं। कुछ देशों ने तो अपने यहां 4डे वर्क कल्चर लागू कर दिया है। इसका मतलब है कि उन देशों में कर्मचारी हफ्ते के 7 दिनों में सिर्फ 4 ही दिन काम करेंगे।
किन देशों में 4 डे वीक कल्चर-
आपको बता दें कि दुनिया के कई देशों में वीक डे कम करने पर विचार किया जा रहा है उनका मानना है कि काम के दिन कम करने से कर्मचारियों की उत्पादकता में वृद्धि होगी अध्ययनों से पता चला है कि कम काम करने वाले घंटे कर्मचारियों को अधिक ऊर्जावान और केंद्रित बना सकते हैं, जिससे उत्पादकता में वृद्धि हो सकती है।आइसलैंड में 2015 से कुछ सरकारी कर्मचारियों के लिए 4-डे वर्क वीक का परीक्षण किया जा रहा है। 2021 में, 90% से अधिक कर्मचारियों ने कहा कि वे 4-डे वर्क वीक से संतुष्ट हैं।न्यूजीलैंड में 2022 में, Unilever New Zealand ने 4-डे वर्क वीक का परीक्षण शुरू किया। 88% कर्मचारियों ने कहा कि वे 4-डे वर्क वीक से संतुष्ट हैं।
जापान में 2022 में, Microsoft Japan ने 4-डे वर्क वीक का परीक्षण शुरू किया। 90% कर्मचारियों ने कहा कि वे 4-डे वर्क वीक से संतुष्ट हैं। संयुक्त अरब अमीरात में 2022 में 4-डे वर्क वीक (शुक्रवार से रविवार) की घोषणा की। इसके साथ ही बेल्जियम: 2022 में कर्मचारियों को 4-डे वर्क वीक चुनने का विकल्प दिया। हालांकि अभी कई देशों में यह प्रायोगिक तौर पर लागू किया गया है।
कब से शुरू हुई रविवार की छुट्टी-
आजादी के पहले जब अंग्रेजों की सरकार थी तो उस समय ब्रिटिश अधिकारी समेत अन्य सभी बाकी दिन काम करके संडे के दिन चर्च जाया करते थे। वहीं, मजूदरों को सप्ताह के सातों दिन मिल में काम करना पड़ता था। उन्हें किसी भी दिन छुट्टी नहीं दी जाती थी। मजदूरों की इस व्यथा को उस वक्त के मजदूरों के नेता नारायण मेघाजी लोखंडे ने समझा और उन्होंने ब्रिटिश सरकार के सामने संडे को छुट्टी का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि सप्ताह में छह दिन काम करने के बाद एक दिन सभी को अवकाश मिलना चाहिए।
इसके लिए पहले तो अंग्रेजों की सरकार राजी नहीं हुई लेकिन मजदूरों के नेता नारायण मेघाजी लोखंडे के लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार ब्रिटिश हुकूमत मान गई। इसके बाद, 10 जून 1890 को ब्रिटिश सरकार ने आखिरकार रविवार को छुट्टी का दिन घोषित कर दिया गया।
सीनियर प्रोड्यूसर
Published : 13 March, 2024, 6:20 pm
Author Info : राष्ट्रीय पत्रकारिता या मेनस्ट्रीम मीडिया में 15 साल से अधिक वर्षों का अनुभव। साइंस से ग्रेजुएशन के बाद पत्रकारिता की ओर रुख किया। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया...