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मथुरा ईदगाह सर्वे रोकने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, कोर्ट कमीशन से तय होगी आगे की राह?

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(Special Story) मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान-शाही ईदगाह के कमिश्ननर सर्वे पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। आज सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि अगर सर्वे से दिक्कत है तो प्रॉपर तरीका अपनाएं। इसके बाद सुनवाई पर विचार किया जाएगा। 

हाईकोर्ट ने दिया है कमिश्नर सर्वे का आदेश-

आपको बता दें कि कल यानी गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित स्थल का कमिश्नर सर्वे का आदेश दिया था। शाही ईदगाह मस्जिद और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने वर्चुअली इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसमें कमिश्नर सर्वे और हाईकोर्ट की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इससे इनकार करते हुए कहा है कि कार्रवाई को चलने दें। 

आज किस मामले की थी सुनवाई-

आज शाही ईदगाह विवाद मामले के सभी केस की ट्रांसफर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई थी। हिंदू पक्ष के एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह के मुताबिक, शाही ईदगाह कमेटी ने हाईकोर्ट में ट्रांसफर किए गए सभी केस को मथुरा कोर्ट में सुनवाई करने की मांग की है। उसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। इसी बीच, मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट के आदेश को मेंशन करते हुए सर्वे पर रोक लगाने की मांग की थी।

आगे की राह आसान करेगा कोर्ट कमीशन सर्वे?

मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही मस्जिद ईदगाह विवाद में गुरूवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर सर्वे का आदेश दिया है। जिसके बाद से हिन्दूपक्ष की उम्मीदें बढ़ गई हैं। आपको बता दें कि इस मामले में काफी समय से ASI सर्वे की मांग होती रही है। स्थानीय न्यायालय से लेकर हाईकोर्ट तक वादी पक्ष ने इसकी मांग की है। लेकिन अब तक इस पर अमल नहीं हुआ था। 

कोर्ट कमीशन की रिपोर्ट पर निर्भर होगा ASI सर्वे-

अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित भूमि के लिए कोर्ट कमीशन नियुक्त कर दिया है। इस आदेश के बाद एएसआइ सर्वे की उम्मीद बढ़ गई है। कोर्ट कमीशन की रिपोर्ट के बाद यह एएसआई की मांग और तेज होगी। कानून के जानकार कहते हैं कि कोर्ट कमीशन की रिपोर्ट पर एएसआइ सर्वे का भविष्य निर्भर करेगा। 

18 दिसंबर से शुरू होगी कोर्ट कमीशन की प्रक्रिया-

इलाहाबाद हाईकोर्ट 18 दिसंबर को कोर्ट कमीशन के लिए प्रक्रिया और कमीशन के अधिकार तय करेगा। नियमतः कोर्ट कमीशन विवादित भूमि की नापतौल के साथ ये देखता है कि वहां कितनी भूमि में क्या बना है। इस दौरान वादी और प्रतिवादी दोनों पक्ष मौजूद रहते हैं। कोर्ट कमीशन अपनी रिपोर्ट हाई कोर्ट में दाखिल करेगा। रिपोर्ट "पर वादी और प्रतिवादी अपनी आपत्ति दाखिल करेंगे। इसके बाद न्यायालय मामले में आगे निर्णय लेगा। 

प्रमुख वादी का दावा श्रीकृष्ण जन्मस्थान बनाई गई शाही मस्जिद-

श्रीकृष्ण जन्मस्थान में प्रमुख वादी अधिवक्ता महेंद्र प्रताप का दावा है कि शाही मस्जिद ईदगाह श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर पूर्व में बने केशवदेव मंदिर के ढांचे पर ही खड़ी की गई है। ठाकुर जी के असली गर्भगृह के ऊपर ही ईदगाह है। कोर्ट कमीशन की रिपोर्ट के बाद हम एएसआइ सर्वे की मांग करेंगे। वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश शर्मा ने कहा, विवादित भूमि के मामले में कोर्ट कमीशन एक सामान्य प्रक्रिया है। कमीशन को रिपोर्ट के आधार पर यदि न्यायालय चाहे तो एएसआइ सर्वे के आदेश दे सकता है।

 

शाही, मस्जिद ईदगाह, सचिव, तनवीर अहमद ने क्या कहा- 

हम इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश कर अवलोकन कर रहे हैं। इसके विरुद्ध जो भी कानूनी प्रक्रिया होगी, वह अपनाई जाएगी। इससे पहले साइंटिफिक सर्वे की मांग एक वादी आशुतोष पांडेय ने की थी, जिसे स्थानीय न्यायालय, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। अन्य वादों में भी सर्वे की मांग खारिज हुई। रंजना अग्निहोत्री का वाद 2020 का है। तीन वर्ष बाद ऐसी क्या जरूरत आ गई कि उनके वाद में अब कोर्ट कमीशन की जरूरत पड़ रही है, जबकि शाही मस्जिद ईदगाह में सुरक्षा कड़ी है। पहले वाद की पोषणियता तय होना जरूरी है। इसके लिए कई नजीर भी उच्च न्यायालय की है। 

कोर्ट कमीशन और एएसआइ सर्व में अंतर-

कोर्ट कमीशन में न्यायालय की की ओर से नियुक्त अधिवक्ता, विवादित भूमि का वादी और प्रतिवादी की मौजूदगी में अवलोकन करते हैं। कितनी भूमि में क्या बना है, इसे देखते है और इसकी रिपोर्ट न्यायालय में दाखिल करते हैं। क्या होता है ASI सर्वे- एएसआइ सर्वे में फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी के साथ ही कार्बन डेटिंग होती है। ये भी देखा जाता है कि इमारत कितनी पुरानी है। उस पर यदि कोई चिन्ह है, तो वह भी रिपोर्ट का हिस्सा होता है।

छह वादों में पहले भी हुई थी कोर्ट कमीशन की मांग-

श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में अब तक 18 में से छह वादों में कोर्ट कमीशन नियुक्त करने की मांग स्थानीय न्यायालय में की गई थी, लेकिन तब इसमें किसी पर निर्णय नहीं हो पाया। अब हाई कोर्ट से कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश हुआ है। ऐसे में वादकारियों में खुशी की लहर है। उनके मुताबिक ये लड़ाई की पहली सीढ़ी है।  

ज्ञानवापी में कोर्ट कमीशन के आदेश के बाद हुआ ASI सर्वे-

वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में कोर्ट कमीशन की रिपोर्ट ने आगे की भूमिका काफी कुछ तय कर दी थी। पांच दिन की कार्रवाई के बाद दी गई रिपोर्ट काफी अहम मानी गई और इसके बाद एस्सआइ सर्वे हुआ। इसी आधार पर माना जा रहा है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही मस्जिद ईदगाह विवाद में कोर्ट कमीशन नियुक्त करने के इलाहाबाद कोर्ट के दिशा-निर्देश काफी अहम होंगे। अदालत के आदेश पर इसी वर्ष मई में ज्ञानवापी परिसर में कोर्ट कमीशन की कार्रवाई हुई। 52 सदस्यीय दल ने दीवारों, शिखर, मीनार, तहखाना और कनुखाना के साक्ष्य जुटाए और उनकी वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की। यहां कोर्ट कमीशन की रिपोर्ट काफी प्रभावी रही। अमूमन नियुक्त किए गए कोर्ट कमिश्नर केवल विवादित जमीन की नापजोख करने के साथ हो ये देखते हैं कि वहां क्या बना है। लेकिन ज्ञानवापी परिसर मामले में न्यायालय ने उन्हें अधिकार दिए थे। इसलिए यहां कोर्ट कमीशन की भूमिका काफी प्रभावी मानी जा रही है। 18 दिसंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट कोर्ट कमोशन को क्या अधिकार देता है, चहुत कुछ इस पर ने कहा कि ये वाद चलने लायक है या नहीं, इस पर पहले सुनवाई होगी।

वीर सिंह बुंदेला ने बनवाया था मंदिर, विवादित भूमि किसकी ? 

इस सारे विवाद की शुरुआत से पहले बताया जाता है कि 1618 में यहां ओरछा के राजा वीर सिंह बुंदेला ने एक मंदिर बनवाया था। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्‍ण का था। इसके बाद के घटनाक्रम के मुताबिक शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण 1670 में औरंगजेब ने कराया था। माना जाता है कि इस मस्जिद का निर्माण एक पुराने मंदिर की जगह पर कराया गया था। इस इलाके को नजूल भूमि यानी गैर-कृषि भूमि माना जाता है। इस पर पहले मराठों और बाद में अंग्रेजों का आधिपत्य था। 1815 में बनारस के राजा पटनी मल ने 13.37 एकड़ की यह भूमि ईस्ट इंडिया कंपनी से एक नीलामी में खरीदी थी। जिस पर ईदगाह मस्जिद बनी है और जिसे भगवान कृष्ण का जन्म स्थान माना जाता है। बताया जा रहा है कि राजा पटनी मल ने ये भूमि जुगल किशोर बिड़ला को बेच दी थी और ये पंडित मदन मोहन मालवीय, गोस्वामी गणेश दत्त और भीकेन लालजी आत्रेय के नाम पर रजिस्टर्ड हुई थी। जुगल किशोर ने श्रीकृष्ण जन्म भूमि ट्रस्ट नाम से एक ट्रस्ट बनाया, जिसने कटरा केशव देव मंदिर के स्वामित्व का अधिकार हासिल कर लिया। 

क्या है पूरा विवाद संक्षेप में जानते हैं-

संक्षेप में कहें तो यह पूरा विवाद 13.37 एकड़ जमीन को लेकर है। इस जमीन के 11 एकड़ में श्रीकृष्‍ण जन्‍मभूमि बनी है। बाकी के 2.37 एकड़ में शाही ईदगाह है। हिंदू पक्ष का कहना है कि जिस जगह ईदगाह है। वहां भगवान कृष्‍ण के मामा राजा कंस की जेल थी। इसी जेल में भगवान कृष्‍ण का जन्‍म हुआ इसलिए जो मौजूदा ईदगाह है वही वास्‍तव में भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली है। 

 

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