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केरल में आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक रंगाहरि का 93 साल की उम्र में निधन हो गया। वह कैंसर से पीड़ित थे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा है कि उनका निधन अत्यंत दुःखद है। वे जीवन के अंतिम क्षणों तक राष्ट्र सेवा में समर्पित रहे। प्रभु श्री राम दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान और शोकाकुल स्वयंसेवकों को यह अथाह दुःख सहने की शक्ति दें।
1951 में RSS कार्यकर्ता के रूप में संघ से जुड़े-
श्री रंगा हरिजी आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक और अत्यधिक सम्मानित विचारक रहे हैं। वह आरएसएस पर प्रतिबंध हटाने की मांग को लेकर एक सत्याग्रही के रूप में दिसंबर 1948 से अप्रैल 1949 तक केरल की सेंट्रल जेल में रहे। 1951 में कोच्चि में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह प्रचारक बन गये। हरिजी 1983 से 1994 तक केरल के प्रांत प्रचारक रहे। 1990 में अखिल भारतीय सह-बौद्धिक प्रमुख और 1991 से 2005 तक अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख। वह 1994 से 2005 तक एशिया और ऑस्ट्रेलिया में हिंदू स्वयंसेवक संघ के मार्गदर्शक और सलाहकार थे। उन्होंने 5 महाद्वीपों में 22 देशों की यात्रा की है। उन्होंने 2001 में लिथुआनिया में और बाद में 2005 और 2006 में भारत में पूर्व-ईसाई धर्म और परंपरा के विश्व सम्मेलन में भाग लिया। वह 2006 तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सदस्य थे।
रंगाहरि जी थे कई भाषाओं के ज्ञानी -
सेवानिवृत्त होने के बाद रंगाहरि जी अपना समय लिखने और व्याख्यान देने में बिताते रहे। हरिजी को मलयालम, संस्कृत, हिंदी, कोंकणी, मराठी, तमिल और अंग्रेजी का उत्कृष्ट ज्ञान है। वह एक विपुल लेखक हैं और उन्होंने मलयालम में 20, हिंदी में 8 और कोंकणी में एक किताबें लिखी हैं। उन्होंने मलयालम में तीन किताबें और श्री गुरुजी की रचनाओं का एक विशाल संग्रह - 'श्री गुरुजी समग्र' हिंदी में 12 खंडों में संकलित किया है। उन्होंने अंग्रेजी से एक, मराठी से छह, संस्कृत से दो और हिंदी से एक किताब का मलयालम में अनुवाद किया है। उन्होंने श्री गुरुजी की जीवनी हिन्दी में लिखी है। हम यहां इस बहुप्रशंसित जीवनी का अंग्रेजी अनुवाद प्रस्तुत कर रहे हैं।
Baten UP Ki Desk
Published : 29 October, 2023, 1:34 pm
Author Info : Baten UP Ki