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300 वर्ष पुरानी परंपरा के तहत होगा राम-सीता विवाह, 5 राज्यों का बजेगा बैंड, 5 लाख लोग बनेंगे बाराती

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(Special Story) भगवान राम की नगरी अयोध्या में 5 दिन बाद राम सीता के विवाह का आयोजन होगा। 15 मंदिरों से निकलने वाली बारात को विहंगम बनाने के लिए 5 राज्यों से बैंड बुलाए गए हैं। इस आयोजन में करीब 5 लाख श्रद्धालुओं के शामिल होने की उम्मीद है। इसके अलावा विवाह का उल्लास 100 मंदिरों में दिखेगा। इनकी सजावट 100 क्विंटल फूलों से की जाएगी। भगवान के विवाह का उत्सव आज शाम से ही शुरू हो जाएगा। फिर 17 दिसंबर मार्गशीर्ष यानी अगहन शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मुख्य आयोजन होगा। 

रंग महल में 3 दिन बाद हल्दी रस्म-

वेंद्र प्रसादाचार्य महाराज के मुताबिक श्रीराम मंदिर से सटे रंग महल में विवाह महोत्सव का आयोजन होगा। जिसकी शुरूआत 14 दिसंबर को तेल महोत्सव के साथ होगी। 15 दिसंबर को हल्दी की रस्म होगी और 16 दिसंबर को मंडप के आयोजन होंगे। इसके साथ ही  17 दिसंबर को राम बारात निकलेगी। इसमें गोरखपुर का बैंड बजेगा। गायन के लिए जम्मू और उत्तराखंड की 11 लड़कियां पहुंच रही हैं। मंदिर के महंत राम शरण दास ने बताया, "रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का उल्लास पूरे देश में है। राम विवाह इसके पहले का ऐसा पर्व है, जिसमें हम संत अपनी खुशी को अनेक माध्यमों से व्यक्त करने का जा रहे हैं।"

पंजाब, हरियाणा, एमपी, राजस्थान के बजेंगे बैंड-

अयोध्या के दशरथ महल के वर्तमान महंत स्वामी देवेंद्र प्रसादाचार्य महाराज ने बताया,"श्रीराम की बारात अयोध्या में आकर्षण का केंद्र होगी। 5 राज्य पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और वाराणसी के बैंड-बाजे राम बारात की शोभा बढ़ाएंगे। वाराणसी की प्रसिद्ध शहनाई राम भक्तों को आनंदित करेगी।

यहां से निकलेगी राम बारात-

अयोध्या के इन मंदिरों से निकलेगी राम बारात निकलेगी,कनक भवन, दशरथ महल, रंग महल, जानकी महल ट्रस्ट, हनुमत निवास, राम हर्षण कुंज, विअहुति भवन, राम कचेहरी, दिव्य कला कुंज आदि मंदिरों में बारात की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। चक्रवर्ती महाराज दशरथ के राज महल श्रीराम विवाह महोत्सव की परंपरा लगभग 300 वर्ष पुरानी है। मंदिर के संस्थापक स्वामी राम प्रसादाचार्य महाराज के जीवन काल से ही राम विवाह महोत्सव की परंपरा चली आ रही है।

जानकी महल में पूजन से विवाह महोत्सव का होगा आरंभ-

श्री जानकी महल ट्रस्ट के ट्रस्टी आदित्य ने बताया,"परंपरा के अनुसार, इस साल भी माता जानकी और श्रीराम का विवाह बड़े ही हर्षोल्लास पूर्वक मनाया जाएगा। इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं। जानकी महल ट्रस्ट में विवाह का कार्यक्रम 5 दिन चलेगा। यह 14 दिसंबर से प्रारंभ होगा, जिसमें सुबह 9 बजे प्रधान मंदिर में रामार्चा महायज्ञ का पूजन, सायं 6 बजे रामलीला और रात 8 बजे गणेश पूजन होगा।

विवाह पंचमी का महत्त्व -

विवाह पंचमी मार्गशीर्ष या अगहन मास में शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन मनाया जाने वाला एक दिव्य और पवित्र त्योहार है जिसकी सांस्कृतिक और धार्मिक पृष्टभूमि है। यह शुभ दिन महाकाव्य रामायण में वर्णित भगवान राम और सीता के दिव्य विवाह के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। विवाह पंचमी उत्सव का महत्व इसी में निहित है कि इस आनंद के अवसर से जुड़े रीति-रिवाज आदि भी दिव्य हैं।

विवाह पंचमी भगवान विष्णु के अवतार भगवान राम और देवी लक्ष्मी की अवतार देवी सीता के पवित्र मिलन को समर्पित एक दिव्य योग है। यह त्योहार अत्यधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह एक विधिवत किया हुआ आदर्श मिलन का प्रतीक है जो लाखों लोगों के लिए मार्ग दिखाने का काम करता है। चलिए अब शास्त्रीय पक्ष पर दृष्टि डालते हैं।

राम सीता का विवाह किस दिवस या किस माह में हुआ था?

रामचरितमानस बाल कांड के अनुसार भगवान राम और माता सीता का विवाह मार्गशीर्ष माह मे हेमंत ऋतु (Nov-Dec) में हुआ था।
"मंगल मूल लगन दिनु आवा। हिम रितु अगहनु मासु सुहावा ।। ग्रह तिथि नखतु जोगु बर बारू। लगन सोधि बिधि कीन्ह बिचारू"।।3

अर्थ: मङ्गलों का मूल लग्न का दिन आ गया. हेमन्त ऋतु और सुहावना अगहन (मार्गशीर्ष) का महीना था. ग्रह, तिथि, नक्षत्र, योग और वार श्रेष्ठ थे. लग्न (मुहूर्त) शोधकर ब्रह्माजीने उसपर विचार किया।

वाल्मिकी रामायण में राम सीता विवाह-

वाल्मिकी रामायण बाल कांड (उत्तरे दिवसे ब्रह्मन् फल्गुनीभ्यां मनीषिणः । वैवाहिकं प्रशंसन्ति भगो यत्र प्रजापतिः ॥13॥) अनुसार  उत्तरा फाल्गुनी नामक नक्षत्र में विवाह हुआ था, जिसके देवता प्रजापति भग (तथा अर्यमा) हैं. मनीषी पुरुष उस नक्षत्र में वैवाहिक कार्य करना बहुत उत्तम बताते हैं।

जामाता के रूप में भगवान राम को पाकर जनक का क्या कथन था?
जनक जी बोले:- मेरी पुत्री सीता दशरथ कुमार श्रीराम को पति रूप में प्राप्त करके जनकवंश की कीर्ति का विस्तार करेगी. (वाल्मिकी रामायण बाल कांड 67.22)

 

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