बड़ी खबरें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के केवडिया में राष्ट्रीय एकता दिवस समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल की 148वीं जंयती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और देश की एकता और अखंडता पर जोर दिया। पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद प्रधानमंत्री ने यहां लोगों को एकता की शपथ दिलाते हुए कहा- मैं राष्ट्र की एकता, अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए स्वयं को समर्पित करूंगा और अपने देशवासियों के बीच यह संदेश फैलाने का भी भरसक प्रयत्न करूंगा। मैं यह शपथ अपने देश की एकताकी भावना से ले रहा हूं, जिसे सरदार वल्लभ भाई पटेल की दूरदर्शिता एवं कार्यों से संभव बनाया जा सका। मैं अपने देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपना योगदान देने का भी सत्यनिष्ठा से संकल्प करता हूं।
लौहपुरुष ने देश को एकता के सूत्र में बांधने का किया कार्य-
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि "सरदार पटेल ने देश को एकता के सूत्र में बांधने का काम किया। उन्होंने हमें एक संयुक्त भारत दिया। आज हम उनकी जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।" उन्होंने आगे कहा कि "देश की एकता और अखंडता हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है। हम किसी भी तरह से देश की एकता को कमजोर नहीं होने देंगे।" इसके बाद मोदी ने अपने संबोधन में देश की विकास यात्रा पर भी चर्चा की जिसमें उन्होंने कहा कि "पिछले 8 वर्षों में देश ने अभूतपूर्व विकास किया है। हमने गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि "हम देश को एक मजबूत और विकसित राष्ट्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
पीएम मोदी ने किसी का नाम लिए बिना तुष्टीकरण की राजनीति करने वालों पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि "जो लोग देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा पैदा करते हैं, उनके खिलाफ हम कड़ी कार्रवाई करेंगे।" उन्होंने यह भी कहा कि तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले लोग आज अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। इन तुष्टीकरण करने वालों को आतंकवाद भी नहीं दिखता है। यह धड़ा अपने स्वार्थ के लिए देश की एकता पर चोट कर देश को नुकसान पहुंचाता है। इतना ही नहीं, ये लोग आतंकियों को बचाने के लिए रात को अदालत तक खुलवाते हैं। हमें इन लोगों से सतर्क रहना है।
बीते 9 वर्षों में देश ने देखा है कि जब सबका प्रयास होता है, तो कुछ भी असंभव नहीं होता। किसने सोचा था कि कभी कश्मीर आर्टिकल 370 से मुक्त भी हो सकता है। लेकिन, आज कश्मीर और देश के बीच आर्टिकल 370 की वह दीवार गिर चुकी है। सरदार पटेल जहां भी होंगे, इस बात को लेकर सबसे ज्यादा प्रसन्नता का अनुभव करते हुए हमें आशीर्वाद दे रहे होंगे। आज कश्मीर के युवा भी खुली हवा में सांस ले रहे हैं और देश के विकास में कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं।
लौहपुरुष बचपन से ही थे निडर और साहसी-
भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और ‘लौहपुरुष’ कहे जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31अक्टूबर, 1875 को गुजरात के करमसद गांव में हुआ था। बचपन से ही वह निडर और साहसी थे और भारत की आजादी और भारतीय रियासतों को भारतीय संघ में मिलाने में अपना अहम योगदान दिया था। उन्होंने वकालत की पढ़ाई इंग्लैंड से की फिर वापस लौटकर अहमदाबाद में वकालत शुरू की। इसके बाद महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। उन्होंने अहमदाबाद के सत्याग्रह आंदोलन का नेतृत्व किया और दांडी मार्च में भी हिस्सा लिया।
स्वतंत्रता के बाद, सरदार पटेल को भारत के पहले उपप्रधान मंत्री और गृह मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। उन्होंने रियासतों के एकीकरण का काम शुरू किया। भारत में उस समय 562 छोटी-बड़ी रियासतें थीं, जो स्वयं में संप्रभु थीं। सरदार पटेल ने इन रियासतों को भारतीय संघ में मिलाने के लिए एक कठिन और चुनौतीपूर्ण अभियान चलाया। उन्होंने रियासतों के राजाओं को समझाया कि उन्हें भारत के एक हिस्से के रूप में रहना चाहिए। उन्होंने कई रियासतों को बलपूर्वक भी मिलाया।
सरदार पटेल के प्रयासों से 15 अगस्त, 1947 तक सभी रियासतों को भारतीय संघ में मिला दिया गया। इस तरह, उन्होंने भारत की एकता और अखंडता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है स्टैच्यू ऑफ यूनिटी-
प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी ने भारत के लौह पुरुष सरदार पटेल की सबसे बड़ी प्रतिमा बनाने का सपना देखा था और गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने इस सपने को पूरा करने के लिए पहल की। उन्होंने 31 अक्टूबर 2013 को सरदार पटेल की जन्मतिथि पर इस प्रतिमा के निर्माण का शिलान्यास किया और पीएम बनने के बाद साल 2018 में विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा के रूप में स्टैचू ऑफ यूनिटी को देश को समर्पित किया था। बता दे कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी 182 मीटर (597 फीट) ऊंची है, जो न्यूयॉर्क के स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से दोगुनी है। प्रतिमा के निर्माण में 2,900 करोड़ रुपये (400 मिलियन डॉलर) की लागत लगी। यह गुजरात के नर्मदा जिले के केवड़िया में स्थित है, जो सरदार सरोवर बांध के पास है।
Baten UP Ki Desk
Published : 31 October, 2023, 1:21 pm
Author Info : Baten UP Ki