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ज्ञानवापी वजूस्थल के ASI सर्वे के लिए SC में याचिका

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वाराणसी की ज्ञानवापी के वजूस्थल की ASI सर्वे के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इसमें वजूस्थल यानि जहां शिवलिंगनुमा आकृति मिली थी उस जगह की सील खोल कर  ASI सर्वे की मांग की है। फिलहाल, ज्ञानवापी का वजूस्थल सील है। 20 महीने बाद सुप्रीम कोर्ट के ही आदेश पर इसे खोला गया था। वाराणसी के डीएम की मौजूदगी में 20 जनवरी को इसकी सफाई की गई थी। गौरतलब है कि ASI ने सर्वे के दौरान परिसर का तो सर्वे किया था, लेकिन वजूस्थल सील होने के कारण उसका सर्वे नहीं किया गया था। 

हिन्दू पक्ष की मांग-

हिन्दू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका में मांग की है कि सील एरिया को खोला जाए। शिवलिंगनुमा आकृति को नुकसान पहुंचाए बिना दीवार को हटाकर सर्वे किया जाए। इसके साथ ही आकृति की कार्बन डेटिंग की जाए, ताकि वह कितनी प्राचीन है इसका पता लगाया जा सके। इसका नेचर और संबंधित खासियतों का पता लगाने की मांग की गई है। याचिका में यह भी कहा गया है कि शिवलिंगनुमा आकृति के आसपास आर्टिफिशियल, मॉर्डन दीवार और फर्शों को हटाकर सर्वे किया जाए। पूरे सील एरिया का उत्खनन और दूसरे वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करके सर्वेक्षण हो और इसकी रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। 

25 जनवरी को सार्वजनिक हुई थी ASI सर्वे रिपोर्ट-

इसी महीने की 25 जनवरी को ASI सर्वे की 839 पेज की सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक की गई थी। इसमें ASI ने दावा किया है कि मस्जिद से पहले यहां पर बहुत बड़ा हिन्दू मंदिर था। इसके 32 सबूत मिले हैं। 17वीं शताब्दी में जब औरंगजेब का शासन था। उस वक्त ज्ञानवापी स्ट्रक्चर को तोड़ा गया। कुछ हिस्सों को मॉडिफाई किया गया। मूल रूप को प्लास्टर और चूने से छिपाया गया। इसके साथ ही हिंदू पक्ष का दावा है कि रिपोर्ट में मंदिर होने के 32 सबूत मिले हैं। दीवारों पर कन्नड़, तेलुगु, देवनागरी और ग्रंथ भाषाओं में लेखनी मिली है। दीवारों पर भगवान शिव के 4 में से 3 नाम अंकित हैं। 

20 महीने पहले मिला था कथित शिवलिंग-

आपको बता दें कि वाराणसी कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर का 2022 में 6 से 16 मई के बीच कमिश्नर सर्वे हुआ था। इस दौरान वजूस्थल पर कथित शिवलिंगनुमा आकृति मिली थी। इस आकृति को हिंदू पक्ष ने शिवलिंग बताते हुए कोर्ट में अर्जी देकर उस स्थान को सील करने की मांग उठाई थी। ताकि मुस्लिम पक्ष कोई छेड़छाड़ न कर पाए। इसके बाद सिविल जज सीनियर डिवीजन ने तत्काल प्रभाव से वजूस्थल को सील करने का आदेश दिया था। इसके अगले दिन यानी 17 मई  को DM ने वजूस्थल को सील करवा दिया था। इसके साथ ही  CRPF को वजूस्थल की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। तब से वजूस्थल में 24 घंटे सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं।

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