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PCS में भी आए भगवान राम, जानिए चयनित अभ्यर्थियों की सफलता की कहानी, उन्हीं की जुबानी

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(Special Story) भगवान रामलला जहां अपने नए भव्य एवं दिव्य मंदिर में विराजित हो गए हैं, वहीं भगवान राम इस बार के PCS एग्जाम में भी आए। कहने का मतलब ये है कि इस बार भगवान और अयोध्या के राम मंदिर के बारे में भी सवाल पूछे गए थे।  ऐसा उन अभ्यर्थियों ने बताया है जिन्होंने  PCS परीक्षा में झंडे गाढ़े हैं। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग यानि (UPPSC) ने PCS फाइनल का रिजल्ट मंगलवार को जारी कर दिया। जिसमें सहारनपुर के सिद्धार्थ गुप्ता ने टॉप किया है। सिद्धार्थ गुप्ता की पहली रैंक आई है। जबकि प्रयागराज के प्रेमशंकर पांडे की दूसरी और हरदोई के स्वास्तिक श्रीवास्तव की तीसरी रैंक आई है। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि इन्होंने सफलता हासिल करने के लिए क्या-क्या किया।

PCS टॉपर सिद्धार्थ गुप्ता को कैसे मिली सफलता-

सहारनपुर के सिद्धार्थ गुप्ता ने PCS में फर्स्ट रैंक हासिल की है। इससे पहले UPPSC-2022 की परीक्षा में सिद्धार्थ गुप्ता ने पहले अटेंम्ट में 7वीं रैंक हासिल की थी। 2023 की परीक्षा में सिद्धार्थ का दूसरा अटेंम्ट था, और इसमें उन्होंने टॉप किया है। आपको बता दें कि 27 साल के सिद्धार्थ गुप्ता फिलहाल बिजनौर में तहसीलदार के पद पर पोस्टेड हैं। सिद्धार्थ के पिता राजेश गुप्ता किराना व्यापारी हैं और मां अंजना गुप्ता गृहणी हैं। सिद्धार्थ ने बताया कि वो नौकरी के बावजूद वक्त निकालकर 10 से 12 घंटे तक पढ़ाई करते थे। सिद्धार्थ के मुताबिक वो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म यू-ट्यूब और सोशल मीडिया से करंट अफेयर्स को मजबूत करते थे।

राम मंदिर आंदोलन और प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े सवाल-

सिद्धार्थ के मुताबिक उनसे इंटरव्यू में 40 से 50 सवाल पूछे गए थे, जिसमें राम मंदिर आंदोलन और प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े भी सवाल थे। सिद्धार्थ ने बताया कि उन्होंने सभी सवालों के जवाब दिए। सिद्धार्थ से पूछा गया था कि 22 जनवरी को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा होनी है। यह क्या होती है? और राम मंदिर का आंदोलन धार्मिक था या राजनीतिक? इसके जवाब में  सिद्धार्थ ने कहा कि मुख्य रूप से यह धार्मिक आंदोलन था। क्योंकि, 500 साल से लोगों की आस्थाओं का प्रश्न बना हुआ था। आंदोलन आस्था से जुड़ा था। सिद्धार्थ का कहना है कि उनका लक्ष्य UPSC यानि IAS परीक्षा पास करना है। 

पिता का सपना था अफसर बनूं-

सिद्धार्थ कहते हैं कि उनके पिता का सपना था कि वो एक बड़ा अधिकारी बनें। हालांकि इसके लिए उन्होंने कभी प्रेशर नहीं दिया। बस यह जरूर कहा कि बेटा तुम धैर्य और हिम्मत रखो। सिद्धार्थ का कहना है कि पिता का सपना धीरे-धीरे पूरा हो रहा है और  मुझे पूरा यकीन है कि मैं उनका सपना जरूर पूरा करूंगा।

बस कंडक्टर के बेटे ने हासिल किया दूसरा स्थान-

PCS परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल करने वाले प्रयागराज के प्रेम शंकर पांडे मौजूदा समय में लखनऊ में समीक्षा अधिकारी के पद पर तैनात हैं। प्रेम शंकर पांडे ने बताया कि पिछले साल उनका समीक्षा अधिकारी के पद पर चयन हो गया था और वह 5 महीने से इसी पद पर कार्यरत हैं। पीसीएस परीक्षा का यह उनका छठा प्रयास था। उनका एसडीएम पद पर चयन हुआ है। आइए जानते हैं कि ''बातें यूपी की टीम''  को उन्होंने क्या बताया...

प्रेम शंकर पांडे ने बताया कि इंटरमीडिएट प्रयागराज से करने के बाद 2001 में एयरफोर्स में चला गया। 20 साल सेवा देने के बाद वहां से रिटायर हुआ हूं। इसी दौरान मैंने बीए, एमए  कानपुर यूनिवर्सिटी से प्राइवेट किया है। 2010 से 2015 के बीच यूपीएससी की मैंने कई बार मेन परीक्षा दी है। इस बार ईश्वर का आशीर्वाद मिल ही गया। पहली सर्विस के दौरान से ही मैंने तैयारी शुरू कर दी थी। इसलिए मेरा बेसिक तैयार था। एक जॉब के बाद मुझे लगा कि पीसीएस ही करना चाहिए तो इधर जुट गए।  मुझे लग रहा है कि ऑप्शनल हटना अच्छी बात है। क्योंकि पिछली बार मुझे इसमें बहुत कम नंबर मिले थे। प्रेम शंकर पांडे ने बताया कि यूपी स्पेशल के पेपर में उनको मार्केट में जो मटेरियल उपलब्ध था उसके साथ ही ध्येय में पढ़ाई के दौरान जो क्लासेज हुईं उनका काफी लाभ मिला है।

प्रयागराज की रग-रग में है सिविल सेवा-  

प्रेम शंकर पांडे के मुताबिक वो प्रयागराज के रहने वाले हैं जिसकी रग-रग में सिविस सेवा बसती है, इसलिए उन्होंने भी इसे ही चुना। बचपन की चाह को लगा कि एक बार मेहनत के जरिए हासिल किया जा सकता है और ईश्वर ने सुन ली। अब प्रदेश की सेवा करना है। प्रेम शंकर के मुताबिक इस परीक्षा में सफल होने के लिए लगातार प्रेक्टिस करना जरूरी है। इसके साथ ही अपने रिसोर्स को कम रखने के साथ ही बेहतर रिसोर्स का चुनाव करें ताकि आपको तैयारी करने में आसानी रहे और सबसे बड़ी बात है आप आगे की तैयारी करने के साथ ही अपना टाइम टेबल ऐसा बनाएं कि आपने पीछे जो पढ़ा है, उसको रिवाइज करते रहें। इससे तैयारी और भी पुख्ता होती रहेगी। प्रेम शंकर पांडे ने बताया कि उनके पिता कृष्णा पांडे उत्तर प्रदेश परिवहन निगम में बस कंडक्टर के पद पर कार्यरत हैं जबकि उनकी मां हाउस वाइफ हैं। 

तीसरा स्थान पाने वाले सात्विक ने बताया धैर्य को जरूरी-

पीसीएस 2023 परीक्षा के परिणाम में हरदोई के नबीपुरवा निवासी सात्विक श्रीवास्तव ने तीसरा स्थान हासिल कर जिले का मान बढ़ाया है। रात लगभग 9:45 बजे  इनके रिजल्ट की जानकारी मिलते ही परिवार में जश्न का माहौल शुरू हो गया। सात्विक के पिता दस्तावेज लेखक हैं। आइए जानते हैं सात्विक ने क्या बताया कैसे प्राप्त की उन्होंने सफलता...

हरदोई शहर में धर्मशाला रोड पर स्थित नबीपुरवा निवासी सात्विक श्रीवास्तव को तीसरे प्रयास में सफलता प्राप्त हुई। सात्विक पढ़ने में बचपन से ही होशियार रहे हैं। हाई स्कूल की परीक्षा शहर के सेंट जेवियर्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल से साल 2013 में 10 सीजीपीए के साथ पास की थी। इसी विद्यालय से 2015 में इंटरमीडिएट की परीक्षा 94.8 फ़ीसदी अंकों के साथ सात्विक ने पास की। इसके बाद एनआईटी जयपुर में उनका दाखिला हो गया। बीटेक से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद सात्विक को रेलवे में अवर अभियंता के पद पर नौकरी मिली थी। हालांकि 15 दिन की ट्रेनिंग के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी। फिर सात्विक पीसीएस की तैयारी में लग गए। पिता जगदीश श्रीवास्तव शहर के रजिस्ट्री कार्यालय में दस्तावेज लेखक हैं, जबकि मां चित्रा श्रीवास्तव गृहिणी हैं। वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं।
 
यहां असली परीक्षा धैर्य की होती है-

सात्विक श्रीवास्तव कहते हैं कि माता-पिता के आशीर्वाद से उन्हें सफलता मिली है। वह कहते हैं कि लक्ष्य केंद्रित पढ़ाई से सफलता तय है। उनका कहना है की पीसीएस की परीक्षा के लिए तैयारी कर रहे युवाओं को अपनी काबिलियत पर भरोसा रखना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस परीक्षा में योग्यता के साथ-साथ धैर्य की भी परीक्षा होती है। जो जितना धैर्यवान है वह उतनी ज्यादा बड़ी सफलता हासिल कर सकता है। पीसीएस परीक्षा में तीसरा स्थान हासिल करने वाले सात्विक को रेलवे में अवर अभियंता के पद पर नौकरी मिली थी। बांदा में उन्हें नौकरी जॉइन करनी थी लेकिन 14 दिन की ट्रेनिंग करने के बाद ही उन्होंने नौकरी न करने का निर्णय लिया। उन्होंने बताया कि दो प्रयासों में वह प्राथमिक परीक्षा भी पास नहीं कर पाए थे लेकिन इस बार उन्होंने कमाल कर दिया। 

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