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भाई दूज के दिन जानिए भाई दूज त्योहार का महत्व और शुभ मुहूर्त

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देशभर में आज धूमधाम से भाई दूज का पर्व मनाया जा रहा है। भाई दूज का पर्व हिंदू धर्म में भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं। कहते हैं कि आज के दिन बहनें भगवान से अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं।  आज के दिन ही माता यमुना ने अपने भाई यमराज जी की पूजा करके उनसे कलयुग के जन कल्याण के लिए वरदान मांगा था, कि जो भी भाई-बहन यम द्वितीया के दिन मेरे जल में स्नान करें और अपनी बहन से तिलक लगवाकर भाई दूज की पूजा करें उन्हें यमलोक की कठोर यातनायें न सहन करनी पड़े।

पूजन करने का शुभ मुहूर्त- 

आज भाई दूज के दिन पर शुभ मुहूर्त देखकर ही भाई का तिलक करना चाहिए। ऐसे में भाई दूज के दौरान शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 10 मिनट से 03 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। 2 घंटे की इस अवधि में भाई का तिलक करना शुभ रहेगा। शुभ मुहूर्त पर पूजा करने से बहनों द्वारा की गई भाईयों की लंबी उम्र की कामना को भगवान अवश्य ही स्वाकार्य करेंगे। 


भाई दूज की पूजा विधि-

भाई दूज के दिन सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। फिर अपने घर में पूजा का स्थान साफ करें और उस पर भगवान गणेश, यमराज और यमुना की तस्वीर या मूर्ति रखें। अब एक थाली में चावल, फूल, मिठाई, पान, सुपारी आदि रखें। फिर भाई को बैठने के लिए आसन दें और उन्हें तिलक करें। इसके बाद आरती करें और भाई की लंबी आयु की कामना करें।

भाई दूज का महत्व-

पैराणिक कथाओं के अनुसार, इस पर्व की शुरुआत यमराज और उनकी बहन यमुना से हुई थी। यमराज अपने भाई यमुना से बहुत प्यार करते थे। यमुना अपने भाई यम से बार-बार आग्रह करती कि वह उसके घर आयें और भोजन करें। चाहते हुए भी यमराज अपने काम में व्यस्त रहने के कारण बहन यमुना के घर नहीं जा पाते। बहुत समय बीत जाने पर एक दिन 'यम' को बहन यमुना की बहुत याद आई और उन्होंने बहन के घर जाने की ठान ली। यम ने अपने दूतों से यमुना को ढूंढ़ने के लिए कहा, लेकिन उन्हें तलाशने में दूत सफल नहीं रहे तब यमराज स्वयं ही गोलोक गए जहाँ विश्राम घाट पर यमुना जी से भेंट हुई, भाई को देखते ही यमुना ने भावविभोर होकर उनका बड़ा स्वागत सत्कार किया तथा उन्हें अनेकों प्रकार के परम स्वादिष्ट व्यंजन भोजन में परोसे।

इससे यमदेव बहुत प्रसन्न हुए और बहन से कहा-बहन ! आज तुम कोई भी मनोवांछित वर मांग लो, बहन यमुना के मन में कलयुग में जन कल्याण की चिंता हुई और उन्होंने कहा, भैया मुझे वरदान दो कि जो भाई-बहन यम द्वितीया के दिन मेरे जल में स्नान करें उन्हें यमलोक की कठोर यातनायें न सहन करनी पड़े। जनकल्याण के लिए अपनी बहन की ऐसी इच्छा देख यमदेव ने कहा,'तथास्तु ' ! ऐसा ही हो ! परन्तु जो भाई अपनी बहन का तिरस्कार करेंगें या उन्हें बार-बार अपमानित करेंगें उन्हें मैं यमपाश में बाँधकर यमपुरी ले जाऊँगा। लेकिन फिर भी यदि वह तुम्हारे जल में स्नान करके सूर्यदेव को अर्घ्य देगा तो उसे स्वर्गलोक में स्थान मिलेगा। जिस दिन मृत्यु के देवता यम यमुना से मिलने आए वह कार्तिक शुक्ल द्वितीया का दिन था, तभी से ऐसा माना जाने लगा कि जो भाई बहन इस दिन हाथ पकड़ कर यमुना में डुबकी लगाएंगे उन्हें नरक से मुक्ति मिल जाएगी। यही कारण है कि सदियों से भाई-बहन आज भी यानि भाई दूज के दिन यमुना नदी में एक साथ डुबकी लगाने के लिये आते हैं।

 

 

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