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पूर्वांचल-बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के किनारे बनेंगे "इंडस्ट्रियल मैन्यूफैक्चरिंग और लॉजिस्टिक क्लस्टर"

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पूर्वांचल और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के किनारे इंडस्ट्रियल मैन्यूफैक्चरिंग और लॉजिस्टिक क्लस्टर विकसित किए जाएंगे। सरकार ने वैश्विक सम्मेलन में करार करने वाले उद्यमियों को उद्यम के साथ गोदामों की जमीन उपलब्ध कराने के लिए योजना तैयार की है। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर बाराबंकी, गाजीपुर, जौनपुर और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को गोरखपुर से जोड़ने वाले लिंक एक्सप्रेसवे पर गोरखपुर में सौ-सौ हेक्टेयर भूमि चिन्हिंत की गई है। इसी तरह बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर बांदा और जालौन में सौ-सौ हेक्टेयर जमीन चयनित की गई है। इसके लिए जीआईसी (ग्लोबल इन्वेस्टर्स कांफ्रेंस) में 33.50 लाख करोड़ के करार हुए हैं।

10 किलोमीटर की परिधि में होंगे क्लस्टर 
ये क्लस्टर एक्सप्रेसवे से 10 किलोमीटर की परिधि में आबादी के करीब बनाए जाएंगे। जिससे उद्यम में आस-पास के मानव संसाधन का उपयोग किया जा सके और रोजगार देकर गांवों से युवाओं के पलायन को रोका जा सके। सरकार की इस पहल से औद्योगिक विकास के साथ ही रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। 

क्लस्टर की आवश्यकता क्यों पड़ रही है?

आपको बता दें कि निवेशकों को उद्यम स्थापित करने और तैयार माल को रखने के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता जमीन की है। इसी को पूरा करने के लिए सरकार ने दोनों एक्सप्रेसवे के किनारे क्लस्टर विकसित करने की कवायद शुरू की है। इसके लिए छह जिलों मे कुल 600 हेक्टेयर जमीन की खरीद की जाएगी। आवश्यकता पड़ने पर जमीन की खरीद बढ़ाई भी जा सकती है। पहले चरण में जमीन खरीदने के लिए 200 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। 
पूर्वांचल और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का विस्तार 

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के 9 जिलों लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या अंबेडकरनगर, मऊ और गाजीपुर से होकर गुजरता है। इसकी शुरूआत लखनऊ के चांद सराय गांव से होकर गाजीपुर के हैदरिया गांव पर समाप्त होती है। पूरे एक्सप्रेसवे की लंबाई 340.824 किलोमीटर है। 16 जुलाई 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का उदघाटन किया था। 296 किलोमीटर लंबा बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के सात जिलों इटावा, औरैया, जालौन, हमीरपुर, महोबा, बांदा, चित्रकूट से जुड़ा है। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की शुरूआत चित्रकूट से होती है और इटावा तक जाता है। इस एक्सप्रेसवे के शुरू हो जाने से बुंदेलखंड के किसानों को जहां लाभ हो रहा है वहीं झांसी और चित्रकूट जैसे पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की संख्या भी बढ़ रही है क्योंकि इसके बन जाने से वहां जाना आसान हो गया है। एक्सप्रेसवे पर हरियाली के लिए करीब 7 लाख पेंड-पौधे लगाए गए हैं।

 

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