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(Special Story) बच्चों पर पढ़ाई का बोझ कैसे कम किया जाए इस पर केंद्र सरकार से लेकर राज्य की योगी सरकार भी गहनता से विचार कर रही है। अब राज्य सरकार ने इसी के मद्देनजर एक ऐसा फैसला लिया जो यूपी बोर्ड की शिक्षा प्रणाली में जरूर बदलाव लाने वाला साबित होगा। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने छात्रों पर पड़ने वाले पढ़ाई के बोझ को कम करने के लिए सेमेस्टर प्रणाली लागू करने का फ़ैसला लिया है। अभी तक छात्रों को एक साथ साल भर की पढ़ाई करनी होती है। जिससे वे मानसिक और शारीरिक रूप से थक जाते हैं। इस कारण, कई छात्र परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं। जिसको देखते हुए माध्यमिक शिक्षा विभाग अब खंड-खंड में बोर्ड की परीक्षा लेगा, ताकि छात्रों को पढ़ाई में सहूलियत मिले और परीक्षा के लिए छात्र बेहतर तैयारी भी कर सकें। आइए विस्तार से जानते हैं क्या है पूरा प्लान और इसका छात्रों पर क्या असर पड़ेगा...
नए सत्र से शुरु होंगे सेमेस्टर-
आपको बता दे कि माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से नए सत्र से नौवीं से 12वीं कक्षा तक कुल आठ सेमेस्टर में पढ़ाई और परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी। इससे छात्रों पर पढ़ाई का बोझ कम होगा और वे धीरे-धीरे और व्यवस्थित रूप से पढ़ाई कर सकेंगे। साथ ही विज्ञान, कला व वाणिज्य वर्ग को समाप्त कर एक ही वर्ग का कोर्स चलाया जाएगा। जिनमें बोर्ड के सभी विषय शामिल होंगे। नई शिक्षा नीति के अनुसार उच्च शिक्षा की तरह अब माध्यमिक शिक्षा विभाग के पाठ्यक्रम में बदलाव की योजना बनाई जा रही है। वहीं शिक्षा विभाग के मुताबिक, सेमेस्टर में 50 नंबर के सवाल प्रयोगात्मक होंगे। इनमें से छात्रों को 20 अंक के सवालों के जवाब ओएमआर शीट पर देने होंगे साथ ही 50 नंबर की लिखित परीक्षा होगी। यही नहीं लिखित परीक्षा में भी सवालों में विकल्प दिए जाएंगे। संबंधित विकल्प में से किन्हीं एक का जवाब परीक्षार्थी को देना होगा।
अब इतिहास विषय भी पढ़ सकेंगे छात्र-
नए सत्र से सेमेस्टर लागू होने से अभिभावक अपने बच्चों पर विज्ञान वर्ग से पढ़ाई करने का दबाव नहीं डाल सकेंगे, न ही कला वर्ग से पढ़ाई करने वाले बच्चे की काबिलियत पर सवाल होंगे। विभाग इसके लिए इन सभी वर्ग को खत्म कर सामान्य वर्ग का कोर्स जारी करेगा। विभाग के मुताबिक रसायन, भौतिक, जीव व गणित पाठ्यक्रम की पढ़ाई करने वाले छात्र की इच्छा इतिहास पढ़ने की है तो उसको पढ़ सकेगा। इसी तरह भूगोल, इतिहास, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र व गृह विज्ञान पाठ्यक्रम की पढ़ाई करने वाले छात्र इच्छानुसार गणित या विज्ञान विषय की पढाई कर सकेंगे। साथ ही पाठ्यक्रम के साथ ही कौशल विकास से जुड़े कोर्स में भी छात्र पढ़ सकेंगे, इसके जरिए उन्हें तकनीक व समाज से जुडी शिक्षा लेने का अवसर मिलेगा।
छात्रों को मिल सकेगा समग्र व्यक्तित्व मूल्यांकन प्रमाण पत्र-
माध्यमिक शिक्षा विभाग में एनसीएफ-2023 को पूरी तरीके से लागू किया जाएगा। नए साल में इसके लिए कई तरह की योजना बनाई गई है। उच्च शिक्षा की तरह माध्यमिक शिक्षा विभाग में भी सेमेस्टर प्रणाली लागू होगी। मार्कशीट की तरह छात्रों को समग्र व्यक्तित्व मूल्यांकन प्रमाण पत्र दिया जाएगा। खेलकूद में प्रतिभाग, विज्ञान प्रदर्शनी व अन्य तरह के प्रशिक्षण कार्य के प्रमाण पत्र शामिल होंगे।
क्या होती है सेमेस्टर प्रणाली-
विभिन्न शैक्षिक कार्यक्रमों का आयोजन वार्षिक, द्विवार्षिक, त्रिवार्षिक अथवा चतुवार्षिक स्तर पर किया जाता है। जैसे बी. एड व एम. एड. के पाठ्यक्रम प्रायः एक वर्ष के होते हैं। हाईस्कूल, इण्टरमीडिएट व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रायः द्वि-वर्षीय होते हैं। स्नातक पाठ्यक्रम त्रिवर्षीय होते हैं, जबकि चिकित्सा व अभियांत्रिकी के पाठ्यक्रम प्रायः चार अथवा पांच साल के होते हैं। इस प्रकार के सभी पाठ्यक्रमों में मुख्य परीक्षा का आयोजन वार्षिक अथवा द्विवार्षिक स्तर पर किया जाता है। इन परीक्षाओं के द्वारा सम्पूर्ण वर्ष अथवा दो वर्ष, जैसी भी स्थिति हो, की अवधि में छात्रों के द्वारा अध्ययन किए गए पाठ्यक्रम में उनके ज्ञान, बोध व कौशल आदि का मूल्यांकन किया जाता है।
जबकि सेमेस्टर प्रणाली के अन्तर्गत किसी उपाधि विशेष के लिए निर्धारित संपूर्ण पाठ्यक्रम को छह-छह माह के कुछ खंडो में बांट दिया जाता है। जिन्हें सेमेस्टर कहते हैं। प्रत्येक सेमेस्टर के पाठ्यक्रम का शिक्षण करने के उपरान्त परीक्षा आयोजित की जाती है। स्पष्ट हैं कि सेमेस्टर प्रणाली में शिक्षा सत्र एक वर्ष/द्विवर्ष का न होकर मात्र छह माह का होता है तथा प्रत्येक छह माह के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम का अध्यापन, अध्ययन व परीक्षा सुनियोजित ढंग से इस छह माह की निर्धारित अवधि में सम्पादित की जाती है।
सेमेस्टर प्रणाली के लाभ-
सेमेस्टर प्रणाली के अनेक लाभ हैं। सेमेस्टर प्रणाली में सत्र की अवधि कम होने के चलते छात्रों को सम्पूर्ण सेमेस्टर अध्ययनरत रहना पड़ता है लगातार गहन अध्ययन करने के फलस्वरूप उनमें विषय-वस्तु की समझ के साथ-साथ आत्मविश्वास भी बढ़ता है। सेमेस्टर प्रणाली के अन्तर्गत एक सेमेस्टर के परीक्षा परिणामों की प्रतीक्षा किए बिना अगले सेमेस्टर का अध्ययन प्रारम्भ कर सकते हैं। केवल अन्तिम सेमेस्टर की परीक्षा के समय परीक्षा परिणामों का इंतजार एक बाध्यता हो सकती है। परन्तु ‘शेष सेमेस्टरों की परीक्षा सम्पन्न होने के उपरान्त अगले सेमेस्टर का शिक्षण कार्य तुरन्त ही शुरू किया जा सकता है। किसी सेमेस्टर में कोई छात्र यदि किसी विषय या प्रश्नपत्र में अनुतीर्ण हो जाता है तो वह उस विष्य या प्रश्नपत्र को अगली बार अतिरिक्त ढंग से पुनः परीक्षा देकर उत्तीर्म हो सकता है।
सेमेस्टर प्रणाली से नुकसान-
सेमेस्टर प्रणाली के लाभ के साथ ही कुछ नुकसान भी हैं। थोड़े-थोड़े अन्तराल पर परीक्षाओं का आयोजन करना प्रशासनिक दृष्टि से अपने आप में एक समस्या है। छात्रों की संख्या के कम होने पर तो वर्ष में दो बार परीक्षाओं का आयोजन संभव हो सकेगा लेकिन छात्र संख्या के अधिक होने पर वर्ष में दो बार परीक्षा सम्पन्न कराना भी कराना प्रशासनिक तन्त्र के लिए कठिन साबित हो सकता है। हाईस्कूल, इण्टर अथवा स्नातक स्तर पर जहाँ छात्रों की संख्या लाखों या अनेक हजारों में होती है वहाँ पर वर्ष में एक से अधिक बार बाह्य परीक्षा का आयोजन असम्भव सा नज़र आ रहा है। इसके साथ ही बार-बार परीक्षा लेने के कारण सेमेस्टर प्रणाली अधिक खर्चीली भी होगी।
शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों की राय-
शिक्षा क्षेत्र से लंबे समय से जुड़ी ध्येय IAS की एकैडमिक हेड दीप्ति वाजपेयी के मुताबिक माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा कक्षा 9 से 12तक सेमेस्टर प्रणाली लागू करने का लिया गया फैसला महत्वपूर्ण और सराहनीय प्रयास है। निश्चित रूप से इससे छात्रों को काफी लाभ मिलेगा, क्योंकि साल भर में एक बार बोर्ड परीक्षा होने से छात्र साल भर अपने आप को काफी दबाव में महसूस करते हैं। इसके बाद उनका परिणाम मनोनुकूल नहीं आता तो छात्र और भी ज्यादा तनावग्रस्त हो जाते हैं। उन पर मनोवैज्ञानिक व सामाजिक दबाव बढ़ने लगता है। कई छात्र इस दबाव को झेल भी नहीं पाते। ऐसे में माध्यमिक शिक्षा परिषद का सेमेस्टर प्रणाली लागू करने का निर्णय बेहतर कदम है।
इससे छात्र जहां एक तरफ अपनी विषय संबंधित कठिनाइयों को समय रहते दूर कर पाएंगे वहीं दूसरी तरफ उनके विषय संबंधित ज्ञान की जांच भी उचित ढंग से हो पाएगी साथ ही छात्र की मानसिक व बौद्धिक क्षमता का आंकलन भी उचित ढंग से हो सकेगा। जिससे छात्र अपनी रुचि के मुताबिक करियर का चयन भी उचित ढंग से अपनी इच्छा अनुसार कर सकेगें। इसके साथ ही सबसे अच्छी बात यह होगी कि अध्यापक भी परीक्षा परिणाम के अनुसार अपनी सफलता का आंकलन कर सकेंगे उन्हें भी यदि पढ़ाने की शैली या विषय में कुछ परिवर्तन की अवश्यकता है तो समय रहते सुधार हो सकेगा।
हालांकि शुरुवात में वर्ष में दो बार परीक्षा कराना थोड़ा खर्चीला और चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि 10,12 में छात्रों की संख्या काफ़ी ज्यादा होती है। लेकिन बेहतर और विकसित भारत के भविष्य के लिए कक्षा 9 से 12 के छात्र एक मजबूत भारत के आधार स्तंभ सिद्ध हो सकते है। यदि शिक्षा प्रणाली में समय रहते कुछ यथोचित परिवर्तन कर दिए जाएं। सेमेस्टर प्रणाली लागू करना और विषय वर्ग व्यवस्था समाप्त करना ऐसा ही एक कदम साबित होगा।
सीनियर प्रोड्यूसर
Published : 28 December, 2023, 6:39 pm
Author Info : राष्ट्रीय पत्रकारिता या मेनस्ट्रीम मीडिया में 15 साल से अधिक वर्षों का अनुभव। साइंस से ग्रेजुएशन के बाद पत्रकारिता की ओर रुख किया। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया...