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हाईकोर्ट ने एकल पीठ के आदेश को किया रद्द, 3 महीनों में इस आदेश को पूरा करने का दिया समय

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इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी के प्राथमिक स्कूलों में 2016 में हुई 12460 सहायक शिक्षकों की भर्ती में से बचे 5990 चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति मामले में अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने एकल पीठ के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि अच्छी शिक्षा के लिए मैरिट को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, योग्य अभ्यार्थियों की नियुक्ति से मना नहीं कर सकते। 

दो सदस्यीय खंडपीठ ने सुनाया आदेश-

आपको बता दे कि इलाहाबाद हाई कोर्ट  की लखनऊ बेंच में 31 अक्टूबर को न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की दो सदस्यीय खंडपीठ ने इस मामले में आदेश जारी करते हुए उक्त भर्ती में बचे हुए 6470 पदों के लिए कॉमन मेरिट लिस्ट जारी करते हुए तीन महीनों भरने का आदेश दिया है। पीठ ने ये फैसला राज्य सरकार व कई अभ्यर्थियों द्वारा दाखिल 19 विशेष अपीलों पर सुनवाई और  एकल पीठ के आदेश को चुनौती देते हुए लिया है। 

क्या है मामला-

दरअसल, 2016 में एक विज्ञापन के जरीए सहायक टीचर्स की भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू की गई थी। उस वक्त भर्ती में 75 में से 24 जिलों में एक भी पद खाली नहीं था।  ऐसे में इन जिलों के अभ्यर्थियों को दूसरे जिले में आवेदन करने की छूट दी गई थी और मार्च 2017 में पहली काउंसलिंग के बाद अभर्थियों में एक बार फिर से नौकरी की उम्मीद जगी। लेकिन फिर राज्य सरकार के बदलने के बाद अभ्यार्थियों की  सारी उम्मीदे ठंठे बस्ते में चली गई और नई सरकार ने 23 मार्च 2017 को भर्ती पर रोक लगा दी।

कोर्ट ने एकल पीठ के आदेश को किया रद्द-

जिसके बाद कुछ अभ्यार्थियों ने कोर्ट का रुख कर लिया जिसके करीब डेढ साल बाद एक नवंबर 2018 को हाईकोर्ट की एकल पीठ ने राज्य सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें भर्ती पर रोक लगा दी गई थी। इसके बाद सरकार ने भर्ती शुरू करने की अनुमति दी। सभी अभ्यर्थियों की काउंसलिंग भी कराई गई। 51 जिलों के 6470 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिए गए, लेकिन बाकी चयनितों की नियुक्ति नहीं हो पाई। इसके बाद कुछ अभ्यर्थियों व राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश को चुनौती देते हुए 19 अपीलें दाखिल की थीं।  जिस पर सुनवाई करते हुए अब पीठ ने शून्य खाली पदों वाले जिलों के चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति का आदेश देते हुए 3 महीने का समय दिया है। पीठ ने कहा कि योग्य अभ्यार्थियों की नियुक्ति से इनकार नहीं किया जा सकता है।    

  

 

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