बड़ी खबरें
पर्यावरण जो हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग है अब इसकी पढ़ाई संस्कृत भाषा में भी की जा सकेगी। वाराणसी का संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय जल्द ही वैदिक परंपरा पर आधारित पर्यावरण पाठ्यक्रम तैयार करने जा रहा है। इस कोर्स में वेद, संहिता, उपनिषद और पुराणों को आधार बनाकर शिक्षा की अनुठी पहल की शुरुआत की जाएगी। जिसको छात्र- छात्राएं नए सत्र से पढ़ सकेंगे।
सात सदस्यीय कमेटी का गठन-
आपको बता दे कि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने इस पाठ्यक्रम को शुरू करने के लिए विद्यालय परिसर ने सात सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। पर्यावरण के नए पाठ्यक्रम की शुरुआत ऋग्वेद के पहले मंत्र से की जाएगी। पर्यावरण के नए पाठ्यकम स्वरूप में तत्व, भेद, रक्षा के उपाय, प्रभाव, विभिन्न श्रेणियां, पर्यावरण से संरक्षण के फायदे, लक्ष्य, तनाव प्रबंधन, सामान्य प्रबंध के साथ ही पर्यावरण के जरिए विश्व बंधुत्व के भाव को भी समाहित किया जाएगा। वहीं पर्यवारण के पाठ्यकम को लेकर छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष प्रो. हरिशंकर पांडेय ने बताया कि कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा के निर्देशन में वेद, संहिता, उपनिषद और भारतीय संस्कृति के अध्ययन के आधार पर इस पाठ्यक्रम को तैयार किया जा रहा है।
ऋग्वेद के पहले मंत्र से होगी शुरूआत-
ऋग्वेद के पहले मंत्र से ही प्रकृति की आराधना होती है। इसमें अग्नि की आराधना की गई है। पुराणों में वर्णन है कि पुराणों में वर्णन है कि दशकूप समा वापी, दशवापी समोहद्रः। दशहृद समः पुत्रो, दशपुत्रो समो द्रुमः। इसका तात्पर्य है कि दस पुत्रों की तुलना एक वृक्ष से की गई है। इसका मतलब है कि प्रकृति या पर्यावरण का हमारे जीवन में कितना महत्व है इसे हमारे वेदों में बताया गया है।
Baten UP Ki Desk
Published : 9 October, 2023, 4:46 pm
Author Info : Baten UP Ki