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आज पुरे देश में आज दीपावली का त्योहार हर्षोउल्लास के साथ मनाया जा रहा है। खुशी के इस मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी देशवासियों को इस पर्व की बधाई दी है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सभी प्रदेश वासियों को दीपों के पर्व दीपावली की बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। दीपावली भारत का सबसे लोकप्रिय पर्व है। दीपावली यानी की रोशनी के त्योहार वाले दिन देवी लक्ष्मी, सरस्वती और गणेश जी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस दिन लक्ष्मी पूजा करते हैं, उन्हें पूरे साल धन-समृद्धि का लाभ मिलता है।
दीपावली की पौराणिक मान्यता-
दिवाली यानी रौनक, पकवान, मुस्कुराहट, खुशियां, साफ सफाई, रंगोली और दीये का त्योहार है। दीपावली मनाने के पीछे कई मान्यताएं हैं। एक मान्यता जिसे हम सब बचपन सुनते आ रहे हैं, कि भगवान राम जब लंका पर जीत हासिल कर अयोध्या लौटे तो नगरवासियों ने उनकी जीत की खुशी में यह त्योहार मनाया था। यह वह कहानी है जो लगभग सभी भारतीय को पता है। कहा जाता है कि मंथरा की बातों में आकर रानी कैकई ने राजा दशरथ से भगवान् श्री राम को वनवास भेजने का वचन मांग लिया। इसके बाद श्रीराम को वनवास जाना पड़ा। 14 वर्षों का वनवास बिताकर जब भगवान राम अयोध्या लौटे तो नगरवासियों ने उनका भव्य स्वागत किया। तभी से दीपावली मनाई जाती है।
पांडवों का अपने राज्य लौटना-
महाभारत काल में कौरवों ने, शकुनी मामा की मदद से शतरंज के खेल में पांडवों को हराकर छलपूर्वक उनका सबकुछ ले लिया और उन्हें राज्य छोड़कर 13 वर्ष के लिए वनवास जाना पड़ा। कार्तिक अमावस्या को 5 पांडव (युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव) 13 वर्ष का वनवास पूरा कर अपने राज्य लौटे। उनके लौटने की खुशी में राज्य के लोगों नें दीप जलाए। माना जाता है कि तभी से कार्तिक अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है।
मां लक्ष्मी का अवतार-
दीपावली का त्यौहार हिंदी कैलंडर के अनुसार कार्तिक महीने की अमावस्या को मनाया जाता है। कहा जाता है कि इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी जी ने अवतार लिया था। मां लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है। इसलिए हर घर में दीप जलाने के साथ-साथ हम माता लक्ष्मी जी की पूजा भी करते हैं। और आज की दीपावली बेहद खास है इस बार की दिवाली पर सदियों बाद कुछ खास योग बन रहे हैं। ज्योतिषियों का कहना है इस दिवाली पर ऐसा शुभ योग बन रहा है जैसा पिछले 700 सालों में नहीं बना होगा। इतने शुभ संयोग बनने से ये लक्ष्मी पर्व सुख-समृद्धि देने वाला होगा।
दीपावली के बाद कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से नाय साल शुरू होता है। व्यापारियों में पुष्य नक्षत्र और धनतेरस से नए बही खाते कारोबारी नया साल शुरू करने की परंपरा भी रही है। दीपावली से ही जैन समाज का महावीर निर्वाण संवत भी शुरू होता है।दीपावली का सांस्कृृतिक महत्व प्रकाश पर्व से भी जुड़ा है और इस त्योहार का नाम मिट्टी के दीयों (दीप) की पंक्ति (अवली) से लिया गया है, जिसे भारतीय अपने घरों के बाहर आंतरिक प्रकाश के प्रतीक के रूप में जलाते हैं जो अंधकार से बचाता है।
Baten UP Ki Desk
Published : 12 November, 2023, 8:00 am
Author Info : Baten UP Ki