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22 हजार सिपाहियों को कोर्ट से बड़ी राहत, वेतन वृद्धि, पदोन्नति लाभ देने का आदेश

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 22 हजार सिपाहियों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने सिपाहियों को वेतन वृद्धि, पदोन्नति लाभ देने का आदेश दिया है। सपा शासनकाल में 2005-06 में नियुक्त होने के बाद बसपा शासन में नौकरी से निकाले गए 22 हजार सिपाहियों को कोर्ट ने 2006 से सेवा में निरंतर मानते हुए उन्हें वेतन वृद्धि, पदोन्नति समेत सभी सेवा लाभ देने का आदेश यूपी सरकार को दिया है। हाईकोर्ट ने यह आदेश उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जारी शासनादेश दिनांक 17 फरवरी 2022 में प्रतिपादित व्यवस्था को आधार बनाते हुए पारित किया है। आपको बता दे कि बसपा शासनकाल में 22 हजार सिपाहियों को नौकरी से निकाल दिया गया था। 

न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने दिया आदेश-

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2005-06 में भर्ती हुए सिपाहियों को सेवा में निरंतरता का लाभ देने का आदेश दिया है। यह आदेश मथुरा, गौतम बुद्ध नगर, आगरा, प्रयागराज और वाराणसी जिलों में तैनात हेड कांस्टेबिलों और कांस्टेबिलों की याचिकाओं पर पारित किया गया है। याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि शासनादेश दिनांक 17 फरवरी 2022 के अनुपालन में उन्हें वर्ष 2006 से सेवा में निरंतर मानते हुए उन्हें पेंशन, उपादान, वार्षिक वेतन वृद्धि, तथा पदोन्नति का लाभ व एसीपी का लाभ अनुमन्य कराया जाए। न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने आदेश में कहा कि शासनादेश में उल्लेखित सभी लाभ 2005-06 बैच के सिपाहियों को भी दिए जाएंगे। इस आदेश से इन सिपाहियों को काफी राहत मिलेगी।

सिपाहियों को  मिलेंगे सारे लाभ-

कोर्ट ने  2005-06 बैच के सिपाहियों को सेवा में निरंतरता का लाभ देने का आदेश दिया है। इस आदेश के मुताबिक इन सिपाहियों को सभी प्रकार के सेवा लाभ जिसमें पेंशन, उपादान, वार्षिक वेतन वृद्धि, तथा पदोन्नति के लाभ भी शामिल हैं। आपको बता दें कि 2005-06 बैच के सिपाहियों की भर्ती सपा शासनकाल मे हुई थी। बसपा शासनकाल आने पर इन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ने के बाद इन्हें सेवा में बहाल किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने दीपक कुमार के केस में यह आदेश पारित किया था कि वर्ष 2005-06 के आरक्षियों की नियुक्तियां उनके नियुक्ति के दिनांक से सेवा में निरंतर माना जाएगा।

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