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महाशिवरात्रि पर बना अद्भुत संयोग, मिलेगा 3 व्रतों का फल, जानें शुभ मुहूर्त एवं पूजन  विधि

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(Special Story) भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना के लिए सबसे उत्तम दिन के रूप में महाशिवरात्रि के दिन को माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की आराधना करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस बार महाशिवरात्रि पर शिव योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और चतुर्ग्रही का ऐसा दुर्लभ संयोग बन रहा है जोकि आपको 3 व्रतों के फल की पुण्य दिलाएगा। महाशिवरात्रि पर जानिए शुभ मुहूर्त और पूजन विधि विस्तार से....

इस दिन मनाई जाएगी महाशिवरात्रि-

देशभर में महाशिवरात्रि का पर्व बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। काशी विश्वनाथ धाम में विशेष आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही देशभर के भगवान भोलेनाथ के मंदिरों में विशेष आयोजन होते हैं। श्रद्धालु बड़ी श्रद्धापूर्वक भगवान भोलेनाथ का व्रत और पूजन अनुष्ठान करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर मां पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए महाशिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इसबार यह त्योहार 8 मार्च यानि शुक्रवार को मनाया जाएगा। 

महाशिवरात्रि पर ये है दुर्लभ संयोग-

हिंदू पंचांग के मुताबिक इस बार महाशिवरात्रि के दिन 8 मार्च को शुक्र प्रदोष व्रत भी पड़ रहा है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक यह बहुत उत्तम संयोग होता है जब महाशिवरात्रि के दिन ही प्रदोष व्रत पड़ता है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक प्रदोष व्रत वैसे ही बहुत फलदाई माना जाता है। ऊपर से उसी दिन महाशिवरात्रि होने से जातकों को इस शुभ संयोग से विशेष लाभ अवश्य मिलेगा। इसके साथ ही इसी दिन शुक्रवार का व्रत भी है। 


 

महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त-

  • महाशिवरात्रि की चतुर्दशी की शुरुआत- 8 मार्च को रात 9 बजकर 57 मिनट पर होगी।
  • महाशिवरात्रि तिथि का समापन शाम 6 बजकर 17 मिनट पर होगा।
  • उदया तिथि के अनुसार, महाशिवरात्रि 8 मार्च को ही मनाई जाएगी।
  • महाशिवरात्रि का पूजन निशिता काल में ही किया जाता है।
  • निशिता काल - 8 मार्च को रात 12 बजकर 05 मिनट से लेकर 9 मार्च को रात 12 बजकर 56 मिनट तक रहेगा

पूजन का शुभ मुहूर्त-

प्रथम पहर का पूजन समय- 8 मार्च को शाम 6 बजकर 25 मिनट से शुरू होगा और समापन रात 9 बजकर 28 मिनट को होगा।

दूसरे पहर का पूजन समय- 8 मार्च को रात 9 बजकर 28 मिनट से शुरू होगा और समापन 9 मार्च को रात 12 बजकर 31 मिनट पर होगा।

तीसरे पहर का पूजन समय- 8 मार्च को रात 12 बजकर 31 मिनट से शुरू होगा और समापन सुबह 3 बजकर 34 मिनट पर होगा।

चौथे पहर का पूजन समय- सुबह 3 बजकर 34 मिनट पर होगा से लेकर सुबह 6 बजकर 37 मिनट तक।

महाशिवरात्रि की पूजन विधि- 

महाशिवरात्रि के दिन सुबह ही उठकर स्नान आदि करने के बाद भगवान शंकर की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं। उसके बाद 8 लोटे केसर जल चढ़ाएं। या जल में गंगाजल मिलाकर भी चढ़ा सकते हैं। उस दिन पूरी रात का दीपक जलाएं। चंदन का तिलक लगाएं। बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे , फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र एवं दक्षिणा चढ़ाएं। सबसे बाद में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर प्रसाद बांटे।

 

इस मंत्र का करें जाप-

ॐ नमो भगवते रूद्राय, ॐ नमः शिवाय रूद्राय् शम्भवाय् भवानीपतये नमो नमः मंत्रों का जाप करें तो उत्तम रहेगा। महाशिवरात्रि के दिन शिव पुराण का पाठ करने का भी विधान है। महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण भी करने की परंपरा है।

इस बार मिलेगा 3 व्रतों का पुण्य-

इस बार महाशिवरात्रि पर शिव योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और चतुर्ग्रही योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस दिन कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं जिससे इस बार महाशिवरात्रि पर श्रद्धालुओं को विशेष पुण्य प्राप्त होगा। इस बार प्रदोष तिथि का व्रत भी 8 अक्टूबर को ही किया जाएगा। चूंकि प्रदोष तिथि शुक्रवार के दिन पड़ रही है इस वजह से इस व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा। प्रदोष व्रत और महाशिवरात्रि के व्रत के साथ ही श्रद्धालु शुक्रवार का व्रत भी कर पाएंगे। शुक्रवार को वैभव लक्ष्मी और संतोषी माता का व्रत किया जाता है। इसलिए इस बार भगवान शिव के साथ महालक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होगी। इसलिए इस बार श्रद्धालुओं को तीन व्रतों के फल एक साथा प्राप्त होंगे। 

10 लाख श्रद्धालु करेंगे बाबा विश्वनाथ के दर्शन-

हर साल की तरह ही इस बार भी महाशिवरात्रि के लिए काशी विश्वनाथ धाम में विशेष तैयारी की गई है। इस बार भक्तों को झांकी दर्शन से ही संतोष करना पड़ेगा, क्योंकि स्पर्श दर्शन पर रोक रहेगी। बताया जा रहा है कि इस बार करीब 10 लाख श्रद्धालु महाशिवरात्रि के मौके पर बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने वाराणसी पहुंच सकते हैं। काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के पांचों द्वार से भक्तों को मंदिर के अंदर प्रवेश देने की व्यवस्था की गई है। भक्त बाबा विश्वनाथ के 41 घंटे दर्शन कर सकेंगे। सोशल मीडिया के जरिए भी  बाबा के दर्शनों की व्यवस्था की गई है। 

 

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