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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हड़ताल में गवाही रोकने वाले वकीलों के खिलाफ सख्त आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी मुकदमे की गवाही हड़ताल के कारण प्रभावित होती है तो वकीलों के खिलाफ अवमानना का केस चलाया जाएगा। इसके अलावा बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश भी ऐसे वकीलों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगा। हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि वकीलों का हक है कि वे अपनी मांगों के लिए हड़ताल करें। लेकिन हड़ताल के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी भी वकीलों की है। अगर हड़ताल के कारण किसी मुकदमे की गवाही प्रभावित होती है तो इससे न्याय व्यवस्था को नुकसान पहुंचता है।
तीन याचिकाओं पर सुनवाई करते दिए आदेश-
आपको बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अजय भनोट ने नूर आलम, सूरज पासी, अब्दुल वाजिद की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है। दरअसल, याचियों ने द्वितीय, तृतीय जमानत प्रार्थना पत्र दाखिल किया था। जिस पर कोर्ट ने उनके मुकदमों के इतने समय तक लंबित रहने का कारण पूछा और संबंधित ट्रायल कोर्ट से रिपोर्ट मांगी। इसके बाद ट्रायल कोर्ट द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया कि वकीलों के बार-बार हड़ताल करने से मुकदमे के गवाहों की गवाही और उनके प्रति परीक्षण आदि की प्रक्रिया प्रभावित होती है। जिसकी वजह से मुकदमे के निस्तारण में विलंब होता रहता है।
वहीं कोर्ट ने इस संबंध में बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश को अपनी ओर से सभी अधिवक्ता संगठनों को निर्देश जारी करने के लिए कहा था। काउंसिल की ओर से कोर्ट में कहा गया कि बार काउंसिल के अध्यक्ष ने सभी अधिवक्ता संगठनों को इस आशय का निर्देश भी जारी किया है कि हड़ताल, प्रदर्शन आदि के दौरान यदि किसी मुकदमे में गवाही होनी है या किसी गवाह की प्रति परीक्षा होनी है तो उससे संबंधित वकील को इस कार्य से रोका न जाए तथा उसे गवाही की प्रक्रिया संपन्न करने दी जाए। अदालत ने बार कांउसिल अध्यक्ष के उक्त आदेश को अपने निर्णय में दर्ज भी किया है।
Baten UP Ki Desk
Published : 8 December, 2023, 11:38 am
Author Info : Baten UP Ki