दिल का दौरा पड़ने के बाद जीवन की डोर नाजुक हो जाती है, और मरीजों को बेहद सतर्कता बरतनी चाहिए। हाल ही में नेचर पत्रिका में प्रकाशित नेशनल हार्ट फेल रजिस्ट्री की रिपोर्ट ने कुछ गंभीर तथ्य उजागर किए हैं। आंकड़ों के मुताबिक, दिल के दौरे के बाद 22.1% मरीजों की मौत हो गई, जबकि 17.2% को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। केजीएमयू, इस रजिस्ट्री का नोडल सेंटर, देशभर में दिल से जुड़ी बीमारियों के बढ़ते खतरों को समझने और उनसे निपटने के प्रयासों में जुटा है।
पहली बार देश में रजिस्ट्री की पहल-
केजीएमयू के नोडल सेंटर से शुरू हुई इस रजिस्ट्री का उद्देश्य दिल की बीमारियों के आंकड़ों और पैटर्न का अध्ययन करना है। देशभर के 53 केंद्रों से जुटाए गए आंकड़ों में कुल 10,850 मरीज शामिल किए गए हैं।
महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ज्यादा मृत्यु दर-
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस्केमिक हृदय रोग से पुरुषों की मृत्यु दर अधिक है। वहीं, वॉल्व, जन्मजात, और हृदय की मांसपेशियों से जुड़ी बीमारियों से महिलाओं की मौत का प्रतिशत अधिक पाया गया है।
हायपरटेंशन और डायबिटीज का गहरा असर-
हार्ट फेल वाले मरीजों में हायपरटेंशन और डायबिटीज का असर देखने को मिला। हृदय की धमनी संकुचन से पीड़ित 79.1% और वॉल्व संबंधी बीमारी वाले 25% मरीजों में डायबिटीज की समस्या पाई गई।
बीमारियों का प्रतिशत और उनका असर-
विभिन्न हृदय रोगों का प्रतिशत
- इस्केमिक हृदय रोग: 71.9%
- डाइलेडेट कार्डियोमायोपैथी: 17.3%
- रुमेटिक हार्ट डिजीज: 5.4%
- नॉन रुमेटिक हार्ट डिजीज: 1.9%
- हायपरट्रॉपिक कार्डियोमायोपैथी: 0.8%
- कॉग्निटल हार्ट डिजीज: 0.7%
- पेरिपार्टम कार्डियोमायोपैथी: 0.5%
- रीस्ट्रक्टिव कार्डियोमायोपैथी: 0.4%
- इंफेक्टिव इंडोकार्डिटिस: 0.1%
बीमारियों से जुड़ी मृत्यु दर
- इंफेक्टिव इंडोकार्डिटिस: 50%
- रीस्ट्रक्टिव कार्डियोमायोपैथी: 36.8%
- कॉग्निटल हार्ट डिजीज: 34.6%
- इस्केमिक हृदय रोग: 21.1%
- डाइलेडेट कार्डियोमायोपैथी: 23.7%
- रुमेटिक हार्ट डिजीज: 27.5%
- नॉन रुमेटिक हार्ट डिजीज: 25.1%
- हायपरट्रॉपिक कार्डियोमायोपैथी: 13.0%
दिल की बीमारियों से बचाव के कदम जरूरी-
रिपोर्ट का उद्देश्य हार्ट अटैक से जुड़े खतरों को समझकर, समय पर उचित कदम उठाना है ताकि मरीजों की जान बचाई जा सके। यह लेख मरीजों और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए हार्ट अटैक के बाद जरूरी सतर्कता और उपचार के महत्व को रेखांकित करता है।