कैंसर, एक ऐसी खतरनाक बीमारी है जो किसी भी व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकती है। यह बीमारी शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुँचाती है, और अगर समय रहते इसका उपचार न किया जाए, तो यह जानलेवा भी साबित हो सकती है। कैंसर के अनगिनत प्रकार होते हैं, जो शरीर के हर हिस्से में अपनी पहचान छोड़ते हैं और हर प्रकार को उसी अंग के नाम से जाना जाता है। यह बीमारी न सिर्फ शारीरिक, बल्कि मानसिक रूप से भी व्यक्ति को प्रभावित करती है, इसलिए इसके प्रति जागरूकता और समय पर इलाज बेहद महत्वपूर्ण है। सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) ऐसा ही एक प्रकार है, जो यूट्रस के निचले हिस्से सर्विक्स में विकसित होता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार, यह महिलाओं में होने वाला चौथा सबसे आम कैंसर है।
सर्वाइकल कैंसर के डरावने आंकड़े-
2022 में करीब 6.6 लाख नए मामले सामने आए। लगभग 3.5 लाख मौतें इस कैंसर के कारण हुईं। इसका सबसे आम कारण ह्यूमन पेपिलोमावायरस (HPV) है, जो एक सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन है। WHO के मुताबिक, 95% मामले HPV संक्रमण के कारण होते हैं। HPV वैक्सीन इसे रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है, लेकिन कुछ और आदतें भी हैं जो इस खतरे को कम कर सकती हैं।
- धूम्रपान से दूरी बनाए रखें
स्मोकिंग न केवल इम्यूनिटी को कमजोर करती है बल्कि एचपीवी इंफेक्शन से लड़ने की शरीर की क्षमता को भी कम करती है। यह सर्वाइकल कैंसर का खतरा बढ़ाने वाले प्रमुख कारणों में से एक है।
असुरक्षित यौन संबंध सर्वाइकल कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
अपने यौन साथियों की संख्या सीमित रखें। यह न केवल HPV बल्कि अन्य सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (STIs) से भी बचाता है।
एक मजबूत इम्यून सिस्टम संक्रमणों से लड़ने में मदद करता है।
संतुलित आहार: हरी सब्जियां, फल और प्रोटीन शामिल करें।
व्यायाम: रोजाना 30 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी करें।
योग और ध्यान: तनाव को नियंत्रित करें।
पर्याप्त नींद: अच्छी नींद इम्युनिटी को बेहतर बनाती है।
- रेगुलर पैप स्मीयर और एचपीवी टेस्ट करवाएं
पैप स्मीयर टेस्ट: शुरुआती स्टेज में सेल्स के बदलाव को पकड़ता है।
एचपीवी टेस्ट: हाई-रिस्क स्ट्रेंस का पता लगाने में मदद करता है।
यह नियमित जांच समय पर इलाज सुनिश्चित करती है।
- ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव्स का सीमित उपयोग करें
लंबे समय तक ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव्स का उपयोग सर्वाइकल कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है।
डॉक्टर की सलाह के बिना इन दवाओं का उपयोग न करें।
अन्य सुरक्षित विकल्पों पर विचार करें।
हालांकि ज्यादातर मामले एचपीवी से जुड़े होते हैं, लेकिन जेनेटिक कारण भी भूमिका निभा सकते हैं।
अपने परिवार में कैंसर के इतिहास की जानकारी रखें।
नियमित स्क्रीनिंग और डॉक्टर की सलाह लें।
जीवनशैली में करें बदलाव-
सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए केवल वैक्सीन ही नहीं, बल्कि जीवनशैली में बदलाव और नियमित जांच भी बेहद जरूरी है। ये आदतें न केवल सर्वाइकल कैंसर बल्कि अन्य बीमारियों से बचाव में भी मददगार हैं। आज से ही इन्हें अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं और खुद को स्वस्थ और सुरक्षित रखें।
Disclaimer: यह लेख इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों के अनुसार तैयार किया गया है। ''बातें यूपी की '' चैनल इसमें दी गई जानकारी का कोई दावा नहीं करता है।