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भारत खूबसूरत मंदिरों का देश है। जहां दुनिया के कई प्राचीन मंदिर स्थित हैं, जो कि हमारी संस्कृति और आर्किटेक्चर का खूबसूरत प्रमाण है। हिंदू धर्म में इन मंदिरों में की बड़ी मान्यता है, हर रोज भारी संख्या में भक्त इन मंदिरों में दर्शन करने के लिए जाते हैं। इन्ही मंदिरों में एक है मुजफ्फरनगर का बालाजी मंदिर। कहते हैं ये मंदिर मेहंदीपुर बालाजी से जुड़ा हुआ है। साल 1993 में मेहंदीपुर बालाजी से अखंड ज्योत लाकर मुजफ्फरनगर के बालाजी धाम मंदिर में विराजमान की गई थी और तबसे आजतक यहाँ पर मेहंदीपुर बालाजी धाम जैसे ही बालाजी महाराज की पूजा अर्चना की जाती है। दूर-दूर से लोग यहाँ दर्शन करने आते हैं और लाखों श्रद्धालुओं की आस्था यहाँ से जुड़ी हुई है। लेकिन अब यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को बालाजी महाराज के दर्शन करने से पहले अपने कपड़ों के बारे में जरूर सोचना पड़ेगा कि आखिरकार उन्होंने पहना क्या है ? नहीं समझे... रुकिए ! जरा ये फरमान पढ़िए....
--सभी महिलाएं और पुरुष मंदिर में मर्यादित वस्त्र पहनकर ही आएं। छोटे वस्त्र, हाफ पैंट, बरमूडा, मिनी स्कर्ट, नाईट सूट, कटी फटी जीन्स आदि पहनकर आने पर बाहर से ही दर्शन कर सहयोग करें।-- अब शायद आपको ये मामला थोड़ा समझ आ चुका हो। और अगर अभी भी नहीं आया तो इसे ऐसे समझिये कि- हाल ही में यूपी के मुजफ्फरनगर में बालाजी मंदिर प्रबंध कमेटी ने एक फरमान जारी किया है, जिसमें मंदिर में आने वाली महिलाओं और पुरुषों को आपत्तिजनक कपडे जैसे हाफ पैंट, बरमूडा, मिनी स्कर्ट, नाईट सूट, कटी फटी जीन्स आदि पहन कर आने के लिए साफ़ मना किया है। और अगर वो ऐसा कोई भी वस्त्र पहन कर आते भी हैं तो उन्हें मंदिर में प्रवेश अब नहीं दिया जाएगा बल्कि वो बाहर से ही भगवान् के दर्शन करने के योग्य होंगे।
ऐसा फरमान जारी करने के बाद मुज़्ज़फरनगर का बालाजी मंदिर सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोर रहा है। मामले पर लोगों के अलग अलग विचार हैं। कुछ इसकी सराहना कर रहें हैं और अन्य मंदिरों में भी इसे लागू करने की बात कर रहें हैं तो वहीँ कुछ कह रहें हैं कि लोगों की सोच और विचारधारा पुराने जमाने की है। ये गलत मानसिकता के लोगों के काम है और इन्हें अपनी मानसिकता को बदलना चाहिए। हालांकि आपकी नज़र में यह कदम सही है या गलत इसका फैसला हम आप पर ही छोड़ते हैं...
ऐसे में कुछ लोगों ने इसे संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन भी बता दिया। बहरहाल इसे समझने के लिए आपको संविधान के अनुच्छेद 19 को जरा समझना पड़ेगा –कपड़े पहनना – या और साफ शब्दों में कहे तो कौन से कपड़े पहनना है, कई लोगों के लिए, अभिव्यक्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. वैसे तो भारतीय संविधान में चुनाव के अधिकार को स्पष्ट रूप से शामिल नहीं किया गया है. हालांकि अनुच्छेद 19 और अनुच्छेद 21 के संयोजन से, पसंद का अधिकार एक गुणवत्तापूर्ण जीवन और स्वतंत्रता का लिए ज़रूरी माना गया है. अपनी पसंद के कपड़े पहनना का अधिकार साइकोलॉजिकल वैल्यू से भी जुड़ा होता है. यह बताता है कि फैशन के संदर्भ में पर्सनल चॉइस की खास भूमिका है, यह एक व्यक्ति के जीवन में मेंटल हेल्थ, पर्सपेक्टिव (perspective) और सेल्फ कॉन्फिडेंस को प्रभावित करता है। इसलिए आर्टिकल 19 के तहत अभिव्यक्ति की आज़ादी में पोशाक की स्वतंत्रता भी शामिल है।
इससे पहले साल 2020 में वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर भी ड्रेस कोड को लेकर चर्चा में था। यहां मंदिर प्रशासन की ओर से भक्तों के लिए ड्रेस कोड लागू करने के फैसले पर काफी दिन बहस चली थी। मामले पर सुनवाई के बाद मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश और भगवान के स्पर्श दर्शन के लिए ड्रेस कोड निर्धारित कर दिया गया था। यहां मंदिर में ड्रेस कोड लागू होने के बाद भक्त जीन्स, पैंट, शर्ट, सूट आदि पहनकर मंदिर में भगवान के दर्शन तो कर सकते हैं, लेकिन स्पर्श दर्शन के उन्हें ड्रेस कोड में आना होता है। पुरुषों के लिए धोती-कुर्ता और महिलाओं को साड़ी में भगवान के स्पर्श दर्शन प्राप्त होते हैं।
लगे हाथ अनुच्छेद 19 के बारे में भी जान लेते हैं..
आजादी के बाद जब संविधान बना तो अनुच्छेद 19 में भारतीय नागरिकों को वे सभी अधिकार दे दिए गए, जिसके लिए उन्होंने काफी संघर्ष किया था। संविधान के अनुच्छेद 19(A) के तहत सभी भारतीय नागरिकों को वाक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है। यहां अनुच्छेद 19 के अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को ही दिए गए हैं, अगर कोई विदेशी है तो उसे यह अधिकार प्राप्त नहीं है। वाक या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब यह है कि कोई भी व्यक्ति अपने विचारों को व्यक्त कर सकता है। फिर चाहे लिखकर, बोलकर, छापकर या फिर इशारे से करे।
खैर, भारत में पहनावे को लेकर शुरू हुए विवाद का यह मामला पहला नहीं है.. बीते 10 दिनों की बात करें तो ख़ास तौर से महिलाओं के कपड़ों को लेकर करीब 9 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, यहां बात चाहे तन ढकने की हो, जीन्स पहनने की हो, लेकिन विशेषकर महिलाओं को कई बार अपने पहनावे की वजह से भेदभाव का सामना करना पड़ा है।
Baten UP Ki Desk
Published : 27 May, 2023, 4:47 pm
Author Info : Baten UP Ki