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यूपीपीएससी संग्राहलय में दिखेगा सिविल सेवा का इतिहास

प्रयागराज में साल 2025 में महाकुम्भ का आयोजन किया जाएगा, लेकिन इस आयोजन से पहले भी प्रयागराज में कुछ ख़ास होने जा रहा है। क्या है वो ख़ास बात आइये जानते हैं। दरअसल उतर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) कुंभ के आयोजन से पहले आयोग परिसर में एक संग्रहालय खोलने जा रहा है। इसे बनाने में एक साल से अधिक का समय लग सकता है पर इसके लिए तैयारियां अभी से ही जोरों शोरों पर शुरू कर दी गयी हैं। ये संग्रहालय यूपीपीएससी के पुराने भवन को परिवर्तित करके बनाया जाएगा। पर ये अपने आप में ही एक अनूठा संग्रहालय होने वाला है। 
इस संग्रहालय में प्रतियोगी छात्रों के लिए तमाम सामग्री मौजूद होगी। जैसे संग्रहालय में पीसीएस के टॉपर्स की फोटो, आयोग के अध्यक्षों के नाम, आयोग का इतिहास, आयोग से जुडी तमाम सामग्रियां और अभिलेख उपलब्ध रहेंगे। इसमें प्रदेश के ऐतिहासिक स्थलों और खुदाई से मिली वस्तुओं को तो जगह दी ही जायेगी साथ ही इसमें आठवीं से 16वीं सदी तक की 30 कलाकृतियां रखी जाएंगी। ये कलाकृतियां आयोग में पहुंचाई जा चुकी हैं। इसके साथ ही आयोग में फारसी में लिखी दुर्लभ रामायण भी रखी जाएगी। संग्रहालय में संविधान की मूल प्रति की अनुकृति भी प्रदर्शित की जाएगी। सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा भी संग्रहालय में रखी जाएगी। एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना से जुड़ी वस्तुओं को भी संग्रहालय में जगह दी जाएगी।
आयोग की योजना है कि एक दिन में अधिकतम 50 लोगों को संग्रहालय में प्रवेश दिया जाएगा। हालांकि इसमें प्रवेश के लिए कोई शुल्क होगा या नहीं होगा इसका निर्धारण अभी तक नहीं किया गया है।  

बता दें कि उतर प्रदेश लोक सेवा आयोग उत्तर प्रदेश के विभिन्न ग्रुप ए और ग्रुप बी सिविल सेवाओं में प्रवेश स्तर की नियुक्तियों के लिए सिविल सेवा परीक्षा आयोजित करने के लिए अधिकृत राज्य एजेंसी है। एजेंसी का चार्टर भारत के संविधान द्वारा प्रदान किया गया है। संविधान के भाग 14 के अनुच्छेद 315 से 323, संघ और राज्यों के तहत सेवाएं शीर्षक, संघ के लिए और प्रत्येक राज्य के लिए एक लोक सेवा आयोग प्रदान करते हैं।

आज़ादी से पहले प्रयागराज में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग का गठन 1 अप्रैल 1937 को किया गया था जिसका मुख्य उद्देश्य राज्य में विभिन्न सेवाओं के लिए उम्मीदवारों की भर्ती करना था। आयोग उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग विनियमन, 1976 द्वारा विनियमित है। आयोग के पहले अध्यक्ष सर डीएल ड्रेक ब्रोकमैन थे, जिन्होंने 3 अप्रैल 1937 को इलाहाबाद में कार्यभार संभाला था और आयोग ने राज्य सिविल और पुलिस सेवा की पहली परीक्षा 1937 में करवाई थी। पिछले महीने ही आयोग ने अपना 86वां स्थापना दिवस मनाया था। आज़ादी से पहले आयोग का कार्यालय वर्त्तमान में शिक्षा निदेशालय भवन में था वहां से 1949-50 में वर्त्तमान स्थल कस्तूरबा गाँधी मार्ग पर स्थानांतरित किया गया था। 
क्योंकि अब पुराने भवन का पिछले कई वर्षों से प्रयोग नहीं हो रहा था इसलिए आयोग के चेयरमैन संजय श्रीनेत ने इस भवन को संग्राहलय के रूप में परिवर्तित करने की पहल की। इससे पहले वो आयोग परिसर में पार्कों का जीर्णोद्धार करवा चुके हैं। साथ ही साथ पिछले दिनों आयोग द्वारा पिछले दिनों दो सेल्फी प्वाइंट तैयार किए गए हैं। एक सेल्फी प्वाइंट पर गौतम बुद्ध की प्रतिमा और दूसरे पॉइंट पर अशोक की लाट बनी हुई है। दोनों सेल्फी प्वाइंट प्रतियोगियों के बीच आकर्षण का केंद्र बने हैं।

एक ख़ास बात और आपको बताते चलें पिछले दिनों लखनऊ में आयोजित देश भर के राज्यों के लोक सेवा आयोग के अध्यक्षों के सम्मेलन में कई अध्यक्षों ने यूपीपीएससी के अध्यक्ष संजय श्रीनेत से इच्छा जाहिर की थी कि वो सभी यूपीपीएससी परिसर को देखने के लिए प्रयागराज विजिट करना चाहते हैं। तो उम्म्मीद ये भी है कि संग्रहालय बनने के बाद अन्य आयोगों के अध्यक्षों को यूपीपीएससी अब प्रयागराज आमंत्रित करने वाला है।

 

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