बड़ी खबरें

आज पुडुचेरी-तमिलनाडु से टकराएगा फेंगल तूफानी चक्रवात, 90kmph की रफ्तार से चलेंगी हवाएं, स्कूल-कॉलेज बंद 9 घंटे पहले 3 राज्यों को मिलकर बनेगा देश का सबसे बड़ा चीता-कॉरिडोर,राजस्थान के साथ एमपी और यूपी के जुड़ेंगे 22 जिले, अगले महीने होगा एमओयू 9 घंटे पहले सीएम योगी ने मंत्रियों को दिया मिल्कीपुर जीतने का टास्क, कुंदरकी मॉडल को पूरे प्रदेश में लागू करने की हुई बात 9 घंटे पहले यूपी में विधानसभा में विधायक कितनी देर बैठे, क्या किया, इन सब बातों का होगा लेखा-जोखा...रहेगी एआई की नजर 9 घंटे पहले Mahakumbh 2025 को लेकर सीएम योगी ने आवास में ली बैठक, मंत्रियों को दिया टास्क, देशभर में आध्यात्मिक एजेंडे को देंगे धार 9 घंटे पहले लखनऊ में पीवी सिंधू और लक्ष्य सेन का दमदार प्रदर्शन,सैयद मोदी बैडमिंटन चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में पहुंचे, अब उन्नति से होगी सिंधु की टक्कर 9 घंटे पहले इंडियन नेवी में अप्रेंटिस के 275 पदों पर निकली भर्ती, 10वीं पास को मौका, मैक्सिमम कोई एज लिमिट नहीं 9 घंटे पहले अंडर-19 एशिया कप में आज भारत और पाकिस्तान आमने-सामने 9 घंटे पहले पाकिस्तान के कप्तान साद बेग ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का किया फैसला 9 घंटे पहले अंडर-19 एशिया कप-पाकिस्तान ने इंडिया को 44 रनों से दी मात 4 घंटे पहले पीवी सिंधु सैयद मोदी बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंची 3 घंटे पहले

ग्रीनवॉशिंग: पर्यावरण बचाने की सच्चाई या महज धोखा?

Blog Image

आज के दौर में जब पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा हो रही है, कंपनियां और देश खुद को 'पर्यावरण-प्रेमी' दिखाने की होड़ में जुटे हैं। लेकिन क्या उनके ये दावे वास्तव में सच्चाई पर आधारित हैं? या फिर यह महज एक मार्केटिंग चाल है? इसी को ‘ग्रीनवॉशिंग’ कहा जाता है। ग्रीनवॉशिंग का मतलब है, अपने उत्पादों या सेवाओं को पर्यावरण के अनुकूल बताकर झूठा प्रचार करना। यह उपभोक्ताओं को भ्रमित करता है और हमें सही दिशा में बढ़ने से रोकता है।

ग्रीनवॉशिंग के बड़े उदाहरण-

2015 में जर्मन कार कंपनी Volkswagen ने उत्सर्जन टेस्ट में धोखाधड़ी की थी। उन्होंने अपनी गाड़ियों को 'ग्रीन' और 'क्लीन' बताया, लेकिन सच्चाई यह थी कि उनकी गाड़ियां पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुंचा रही थीं। यह ग्रीनवॉशिंग का एक प्रमुख उदाहरण था।इसी तरह, बड़ी तेल कंपनियां Shell और BP तथा कोला ब्रांड Coca-Cola पर भी ग्रीनवॉशिंग के आरोप लग चुके हैं। कंपनियों के साथ-साथ कुछ देशों पर भी ऐसे आरोप लगते हैं। कई बार, देश अपने जंगलों की कार्बन सोखने की क्षमता को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं, जो एक प्रकार का ग्रीनवॉशिंग है।

ग्रीनवॉशिंग के प्रकार-

ग्रीनवॉशिंग केवल झूठे दावे तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके कई रूप हैं:

  • ग्रीनहशिंग: जब कंपनियां अपनी पर्यावरणीय प्रगति को छिपा लेती हैं।
  • ग्रीन-क्राउडिंग: जब एक समूह में कंपनियां अपनी गलतियों को ढंकने की कोशिश करती हैं।
  • ग्रीनशिफ्टिंग: जब कंपनियां अपनी जिम्मेदारी उपभोक्ताओं पर डाल देती हैं।
  • ग्रीनलाइटिंग: जब एक अच्छी पहल दिखाकर बाकी हानिकारक गतिविधियों को छिपा दिया जाता है।
  • ग्रीनलेबलिंग: जब उत्पादों को 'ग्रीन' या 'सस्टेनेबल' का टैग झूठा दिया जाता है।

उपभोक्ता कैसे प्रभावित होते हैं?

इन प्रथाओं से उपभोक्ता भ्रमित हो जाते हैं और उन उत्पादों को चुनते हैं जो वास्तव में पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसके साथ ही, यह कंपनियों को जवाबदेही से बचने का एक साधन भी प्रदान करता है।

ग्रीनवॉशिंग रोकने के लिए सरकार का कदम

ग्रीनवॉशिंग पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने नई गाइडलाइंस जारी की हैं:

  1. कंपनियां 'इको-फ्रेंडली', 'ग्रीन', 'सस्टेनेबल' जैसे शब्द बिना प्रमाण के इस्तेमाल नहीं कर सकतीं।
  2. ‘ऑर्गेनिक’ या ‘क्रूएल्टी-फ्री’ जैसे दावों के लिए ठोस सबूत प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।
  3. तकनीकी शब्दों को उपभोक्ताओं के लिए सरल भाषा में समझाना होगा।
  4. यह गाइडलाइंस सभी विज्ञापनदाताओं, निर्माताओं और ब्रांड्स पर लागू होंगी।

कार्बन क्रेडिट्स और ग्रीनवॉशिंग-

ग्रीनवॉशिंग की चर्चा में ‘कार्बन क्रेडिट्स’ का उल्लेख भी महत्वपूर्ण है। कार्बन क्रेडिट्स दिखाते हैं कि एक टन कार्बन डाइऑक्साइड या उसके बराबर ग्रीनहाउस गैस कम की गई है। कंपनियां जो मानकों से बेहतर प्रदर्शन करती हैं, उन्हें ये क्रेडिट मिलते हैं, जिन्हें दूसरी कंपनियां खरीद सकती हैं। हालांकि, कई बार इन क्रेडिट्स की प्रमाणिकता पर सवाल उठते हैं और इसे ग्रीनवॉशिंग से जोड़कर देखा जाता है।

क्या है हमारी जिम्मेदारी?

सरकार की गाइडलाइंस उपभोक्ताओं को सही जानकारी देने और पर्यावरण को बचाने के लिए एक बड़ा कदम है। लेकिन यह हमारी भी जिम्मेदारी है कि हम जागरूक रहें और झूठे दावों को पहचानें। सही जानकारी और समझदारी से हम न केवल ग्रीनवॉशिंग के खिलाफ कदम उठा सकते हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

गंभीर समस्या है ग्रीनवॉशिंग-

ग्रीनवॉशिंग एक गंभीर समस्या है जो न केवल उपभोक्ताओं को गुमराह करती है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी खतरा है। समय आ गया है कि हम ऐसे दावों को परखें और सच्चाई को समझें। पर्यावरण को बचाने के लिए यह हमारी और आपकी, दोनों की जिम्मेदारी है।

अन्य ख़बरें

संबंधित खबरें