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आज के दौर में जब पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा हो रही है, कंपनियां और देश खुद को 'पर्यावरण-प्रेमी' दिखाने की होड़ में जुटे हैं। लेकिन क्या उनके ये दावे वास्तव में सच्चाई पर आधारित हैं? या फिर यह महज एक मार्केटिंग चाल है? इसी को ‘ग्रीनवॉशिंग’ कहा जाता है। ग्रीनवॉशिंग का मतलब है, अपने उत्पादों या सेवाओं को पर्यावरण के अनुकूल बताकर झूठा प्रचार करना। यह उपभोक्ताओं को भ्रमित करता है और हमें सही दिशा में बढ़ने से रोकता है।
ग्रीनवॉशिंग के बड़े उदाहरण-
2015 में जर्मन कार कंपनी Volkswagen ने उत्सर्जन टेस्ट में धोखाधड़ी की थी। उन्होंने अपनी गाड़ियों को 'ग्रीन' और 'क्लीन' बताया, लेकिन सच्चाई यह थी कि उनकी गाड़ियां पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुंचा रही थीं। यह ग्रीनवॉशिंग का एक प्रमुख उदाहरण था।इसी तरह, बड़ी तेल कंपनियां Shell और BP तथा कोला ब्रांड Coca-Cola पर भी ग्रीनवॉशिंग के आरोप लग चुके हैं। कंपनियों के साथ-साथ कुछ देशों पर भी ऐसे आरोप लगते हैं। कई बार, देश अपने जंगलों की कार्बन सोखने की क्षमता को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं, जो एक प्रकार का ग्रीनवॉशिंग है।
ग्रीनवॉशिंग के प्रकार-
ग्रीनवॉशिंग केवल झूठे दावे तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके कई रूप हैं:
उपभोक्ता कैसे प्रभावित होते हैं?
इन प्रथाओं से उपभोक्ता भ्रमित हो जाते हैं और उन उत्पादों को चुनते हैं जो वास्तव में पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसके साथ ही, यह कंपनियों को जवाबदेही से बचने का एक साधन भी प्रदान करता है।
ग्रीनवॉशिंग रोकने के लिए सरकार का कदम
ग्रीनवॉशिंग पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने नई गाइडलाइंस जारी की हैं:
कार्बन क्रेडिट्स और ग्रीनवॉशिंग-
ग्रीनवॉशिंग की चर्चा में ‘कार्बन क्रेडिट्स’ का उल्लेख भी महत्वपूर्ण है। कार्बन क्रेडिट्स दिखाते हैं कि एक टन कार्बन डाइऑक्साइड या उसके बराबर ग्रीनहाउस गैस कम की गई है। कंपनियां जो मानकों से बेहतर प्रदर्शन करती हैं, उन्हें ये क्रेडिट मिलते हैं, जिन्हें दूसरी कंपनियां खरीद सकती हैं। हालांकि, कई बार इन क्रेडिट्स की प्रमाणिकता पर सवाल उठते हैं और इसे ग्रीनवॉशिंग से जोड़कर देखा जाता है।
क्या है हमारी जिम्मेदारी?
सरकार की गाइडलाइंस उपभोक्ताओं को सही जानकारी देने और पर्यावरण को बचाने के लिए एक बड़ा कदम है। लेकिन यह हमारी भी जिम्मेदारी है कि हम जागरूक रहें और झूठे दावों को पहचानें। सही जानकारी और समझदारी से हम न केवल ग्रीनवॉशिंग के खिलाफ कदम उठा सकते हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
गंभीर समस्या है ग्रीनवॉशिंग-
ग्रीनवॉशिंग एक गंभीर समस्या है जो न केवल उपभोक्ताओं को गुमराह करती है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी खतरा है। समय आ गया है कि हम ऐसे दावों को परखें और सच्चाई को समझें। पर्यावरण को बचाने के लिए यह हमारी और आपकी, दोनों की जिम्मेदारी है।
Baten UP Ki Desk
Published : 30 November, 2024, 2:35 pm
Author Info : Baten UP Ki