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यूपी में केंद्रीय विश्वविद्यालय का इतिहास

शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, शिक्षा का मतलब केवल  ज्ञान अर्जित करना नही है बल्कि शिक्षा का दायरा इससे भी कहीं अधिक बड़ा है। शिक्षा का मूल उद्देश्य लोगों के व्यक्तित्व का विकास करना है। इसके लिए यूपी के उच्च शिक्षा देने वाली कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों का निर्माण किया गया है। 
यूपी में 23 अगस्त 2022 के स्थिति के अनुसार कुल 6 केंद्रीय विश्वविद्यालय है। 

इलाहबाद विश्वविद्यालय
23 सितंबर 1887 के दिन इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई थी। इसे पूरब का ऑक्सफोर्ड भी कहा जाता है। यह कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास विश्वविद्यालय के बाद भारत का चौथा सबसे पुराना विश्वविद्यालय है। संयुक्त प्रांत के गवर्नर सर विलियम म्योर ने जब पूरब में ऑक्सफोर्ड को बनाने की इच्छा जाहिर की थी, उस समय उत्तर भारत में शिक्षा का कोई केंद्र नहीं था। उत्तर भारत की शिक्षा संस्थाओं की संबद्धता कलकत्ता विश्वविद्यालय से थी। 24 मई 1867 को इलाहाबाद में विलियम म्योर ने एक महाविद्यालय तथा एक विश्वविद्यालय के लिए सोचा जिसकी योजना सन् 1869 में बनी। इसके कुछ वर्षों बाद 1887 में इस विश्वविद्यालय की नींव रखी गई। इस विश्वविद्यालय का नक्शा प्रसिद्ध अंग्रेज वास्तुविद इमरसन ने बनाया था। 1889 में इसमें पहली प्रवेश परीक्षा आयोजित हुई थी। यह भारत का एक प्रमुख केंद्रीय विश्वविद्यालय है। इस विश्वविद्यालय के पुरातन छात्रों कि बात करे तो मोतीलाल नेहरू, चंद्रशेखर, मुरली मनोहर जोशी और हरिवंश राय बच्चन सहित सैकड़ों राजनेता, लेखक और शिक्षाविद रहे है।

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय

यूपी का दूसरा सबसे पुराना विश्वविद्यालय है बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय। इसकी स्थापना महामना मदन मोहन मालवीय द्वारा सन् 1916 में की गई थी। इसमें  इस विश्वविद्यालय के लिए काशी नरेश ने जमीन दान की थी। बताया जाता है कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय कि पहली कल्पना दरभंगा नरेश कामेश्वर सिंह ने की थी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना संसदीय विधान-बीएचयू अधिनियम 1915 द्वारा की गई है। काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय के कुलगीत की रचना प्रसिद्ध वैज्ञानिक शान्ति स्वरूप भटनागर ने की थी। आपको बता दें कि 1896 में एनी बेसेंट ने सेंट्रल हिन्दू स्कूल बना दिया था। बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी का सपना महामना के साथ इनका भी था। 1905 में कुंभ मेले के दौरान यह प्रस्ताव लोगों के सामने लाया गया। इसके बाद इसके स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ। 

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय

यूपी का तीसरा सबसे पुराना केंद्रीय विश्वविद्यालय है 'अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय' । यह भारत के प्रमुख केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में से एक है जो उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में स्थित है। इसकी स्थापना 1920 में सर सैयद अहमद खान द्वारा की गई थी और 1921 में भारतीय संसद के एक अधिनियम के माध्यम से केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया। आपको बता दें कि कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की तर्ज पर ब्रिटिश राज के समय बनाया गया यह पहला उच्च शिक्षण संस्थान था। पहले इस कॉलेज का नाम मुसलमान एंग्लो ओरिएंटल (एमएओ) था, जिसे बाद में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के नाम से दुनिया भर में जाना जाने लगा। आपको बता दें कि 1877 में बने MAO कॉलेज को विघटित कर 1920 में ब्रिटिश सरकार की सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के एक्ट के जरिए AMU एक्ट लाया गया। संसद ने 1951 में AMU संशोधन एक्ट पारित किया, जिसके बाद इस संस्थान के दरवाजे गैर-मुसलमानों के लिए खोले गए। सबसे महत्वपूर्ण बात आपको बता दें कि एएमयू से ग्रेजुएट करने वाले पहले शख्स हिंदू थे और उनका नाम था 'इश्वरी प्रसाद'।

बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय

बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ में स्थित एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। इसकी स्थापना 10 जनवरी 1996 को हुई थी। इसकी एक शाखा अमेठी में भी स्थित है। ज्ञान और सूचना के प्रभावी प्रसार के माध्यम को बढ़ावा देने के लिए जनवरी 1998 में परिसर में गौतम बुद्ध सेंट्रल लाइब्रेरी की स्थापना की गई थी। विश्वविद्यालय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए आरक्षित सभी पाठ्यक्रमों की 50 प्रतिशत सीटें प्रदान करता है। आपको बताते चले कि विश्वविद्यालय अमेठी में सैटेलाइट परिसर एवं मुख्य परिसर में 99 पाठ्यक्रम प्रदान करता है जिसमें डिप्लोमा , यूजी ,पीजी ,एम.फिल और पीएच.डी. शामिल हैं।

राजीव गांधी राष्ट्रीय विमानन विश्वविद्यालय

वही राजीव गांधी राष्ट्रीय विमानन विश्वविद्यालय (आरजीएनएयू) की स्थापना राजीव गांधी राष्ट्रीय विमानन विश्वविद्यालय अधिनियम, 2013 के तहत फुरसतगंज, जिला अमेठी में की गई है। भारत में विमानन उद्योग को बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक और महत्वपूर्ण शोध प्रदान करने के उद्देश्य से इसे प्रमुख संस्थान के रूप में माना जाता है। नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में डिप्लोमा, स्नातक उपाधि और स्नातकोत्तर उपाधि देने के लिए विश्वविद्यालय को अधिकार प्रदान किया गया है। साथ ही साथ  विमानन क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध को बढ़ावा देना भी विश्वविद्यालय का उद्देश्य है। यह केंद्र सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधीन है।

रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय विश्वविद्यालय

अब बात प्रदेश के अंतिम रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय विश्वविद्यालय, झांसी की। इसकी स्थापना साल 2014 में की गई थी। विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना का मुख्‍य उद्देश्‍य कृषि और संबंधित विज्ञानों की विभिन्‍न शाखाओं में शिक्षा प्रदान करना, कृषि क्षेत्र में शोध कार्य करना तथा बुंदेलखण्‍ड क्षेत्र में विस्‍तारित शिक्षा के कार्यक्रम लागू करना और राष्‍ट्रीय और अंतराष्‍ट्रीय शैक्षणिक संस्‍थानों के साथ संपर्कों को बढ़ाना है। आपको बता दें कि उस समय के तात्कालीन कृषि एवं खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्री शरद पवार ने झांसी में रानी लक्ष्‍मीबाई केन्‍द्रीय कृषि विश्‍वविद्यालय स्‍थापित किए जाने की घोषणा की थी। 

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