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यूरेशिया वर्ल्ड रिकॉर्ड BHU की पेंटिंग

उत्तर प्रदेश का वाराणसी शहर एक ऐसा शहर है जिसके कण-कण में भगवान शिव की अनुभूति हो जाती है। यही वजह है कि यहां के लोगों के लिए भगवान शिव सर्वोपरि हैं। वैसे तो यूपी का यह शहर अपनी कई खासियत को लेकर चर्चा में रहता है लेकिन आज चर्चा की वजह है एक ख़ास किस्म की पेंटिंग.. शहर के लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर एक खास पेंटिंग को लगाया गया है, जिसे बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स द्वारा बनाया गया है। अब यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रही है। 
दरअसल, यूनिवर्सिटी के 11 स्टूडेंट्स द्वारा बनाई गई म्यूरल पेंटिंग को अब यूरेशिया वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी स्थान प्राप्त हुआ है। 600 स्क्वायर फीट में बनी इस तस्वीर ने अब दुनिया की सबसे बड़ी म्यूरल पेंटिंग के तौर पर रिकॉर्ड हासिल किया है। इस पेंटिंग को हाल ही में जी20 के मद्देनज़र बीएचयू के प्रोफेसर सुरेश के. नायर के नेतृत्व में 11 स्टूडेंट्स ने तैयार किया था। प्रोफेसर सुरेश बताते हैं कि ये पेंटिंग 20 फीट लंबी और 30 फीट चौड़ी है। इसमें 330 कमल के फूल के डिजाइन है और बीच में शिवलिंग के आकार का आईना है। इसके सामने खड़े होने पर खुद की ही तस्वीर नजर आती है। इसी को ध्यान में रखते हुए पेंटिंग पर ‘तत्वमसि’ लिखा हुआ है जिसका अर्थ है ‘वह तुम ही हो’। अब इतना सब कुछ जानने के बाद आप शायद यह सोच रहें होंगे कि म्यूरल पेंटिंग आखिर क्या है.. यह कैसे अन्य पेंटिंग से अलग है? चलिए बताते हैं.. 
म्यूरल पेंटिंग जिसे भित्ति चित्र के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसी कलाकृति है जिसे सीधे दीवारों, छत या किसी अन्य स्थायी सतह पर बनाया जाता है। इसकी शुरुआत नियोलिथिक ऐज यानी नवपाषाण युग में उस वक्त हुई जब मानव ने गुफाओं की दीवार पर प्राकृतिक रंगों से अपने जीवनकाल के चित्र बनाने शुरू किए। उस वक्त यह मुख्य रूप से प्राकृतिक गुफाओं और रॉक-कट कक्षों में बनाए जाते थे। फ्रांस की शोवे गुफा (Chauvet Cave) में करीब 35 हजार साल पुराने भित्ति चित्र पाए जाते हैं।
बात अगर भारत की करें.. तो हमारे देश में भी भित्ति सम्पदा की समृद्ध परंपरा है। भित्ति चित्र के साथ ही चित्रकला के कई पहलुओं का ज़िक्र विष्णुधर्मोत्तर, शिल्पशास्त्र, मनसोल्लास, शिल्परत्न, नारद शिल्पशास्त्र और कश्यप शिल्प ग्रंथ में भी मिलता है। भारत में फिलहाल 20 से अधिक ऐसे स्थान है जहां इस अवधि के भित्ति चित्र मौजूद हैं, इसमें प्राकृतिक गुफाएं और चट्टानों को काटकर बनाए गए कक्ष भी हैं। इसमें सबसे ज्यादा चर्चित एलोरा की गुफाओं में अजंता, बाग़, सित्तनवासल, तमिलनाडु की अमार्मलाई गुफा, रावण छाया शैलाश्रय, कैलाशनाथ मंदिर की गुफाएं शामिल है। इस पेंटिंग की विशेषताओं के बारे में भी जान लेते हैं.. यह एक विशेष सभ्यता से जुड़े लोगों की गतिविधियों को दर्शाता है, जो एक द्रश्य में पूरे जीवन को प्रदर्शित करता है। पुराने समय में गुफाओं और महलों की दीवारों पर बने चित्र भित्ति कहलाते थे। इसमें धार्मिक, पारिवारिक जीवन और अंत्येष्टि के दृश्यों के साथ-साथ सभा और शिकार जैसे दृश्य समाहित होते है। यह कलात्मक शैली की डिटेल्ड वैरायटी और एक अद्भुत गहराई की नाटकीय भावना का संयोजन है। यह कलाकृति हाथ की मुद्राओं से भावनाओं की अभिव्यक्ति को दर्शाती है। 

 

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