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32 ख़त खून के... फिर भी सरकारी चुप्पी

140 करोड़ से ज्यादा की आबादी वाल देश है भारत.. जहां 20 करोड़ से ज्यादा लोगों को दिन में पौष्टिक आहार नसीब नहीं होता.. गांव में कोई भूखा उठे ज़रूर, लेकिन सोए नहीं.. इसी नेक इरादे के साथ साल 2015 में देश के पहले रोटी बैंक की स्थापना की गई थी। इसे शुरू करने वाले बुंदेलखंड के तारा पाटकर और उनकी टीम अब रोजाना करीब 1 हज़ार लोगों को खाना खिलाते है। तारा पाटकर से जुड़ा यह किस्सा काफी पुराना है और शायद आप में से कुछ लोग इससे वाकिफ भी होंगे। लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि पिछले 8 सालों से तारा की चप्पलों से क्या नाराजगी है?

7 जून 1970 को बुंदेलखंड के महोबा में जन्में तारा पाटकर की पहचान यूपी में समाज सुधारक के रूप में की जाती है। लोग इन्हें बुंदेलखंड का गांधी भी कहते हैं। वे काफी समय तक पत्रकारिता में भी सक्रिय रहे. इस बीच उन्होंने आम लोगों, गरीबों और वंचितों की समस्याओं को करीब से देखा और इसके लिए कार्य भी किया। इसके बाद उन्होंने बुंदेली समाज के साथ देश के सबसे पहले इंडियन रोटी बैंक की स्थापना की। हालांकि इसकी तर्ज पर अब कई जनपदों में रोटी बैंक स्थापित हो चुके हैं। महोबा में आम जनमानस के लिए स्वास्थ्य सेवाएं बद से बदतर हैं। इन्ही सेवाओं में सुधार लाने के लिए तारा पाटकर विरोधस्वरूप पिछले करीब 8 सालों से नंगे पांव चल रहे हैं। गर्मी की तपती धूप हो या फिर ठंड का मौसम तारा पाटकर का यह विरोध इसी तरह जारी रहता है। उन्होंने साल 2015 में नंगे पैर चलने का प्राण लेते हुए यह कहा था कि जब तक सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर नहीं करती और जिले में एम्स की आवश्यकता आधारित मांगों को नहीं मान लेती तब तक वे ऐसे ही रहेंगे। वे कहते हैं कि बुंदेलखंड भारत के केंद्र में है, ऐसे में महोबा में एम्स उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश दोनों के दर्जनभर से अधिक जिलों को सेवा प्रदान कर सकता है। 

बुंदेलखंड में अन्य समस्याओं की बात करें तो यहां वर्षा कम होती है, जिसके चलते यह शहर हमेशा से ही सूखा और पानी की कमी की मार झेलता आ रहा है।  जब किसानों ने इसके कारण भुखमरी की दास्तान तारा को सुनाई तो उन्होंने किसानों की आवाज को बुलंद करते हुए अधिकारियों के सामने मुआवजा देने की बात रखी। जिससे किसानों को काफी राहत मिली। हाल ही में महोबा में बुंदेली समाज ने विश्व पर्यावरण दिवस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खून से ख़त लिखकर बधाई दी थी।

बुंदेली समाज ने सिचौरा गांव में स्थित 1500 वर्ष पुराने देश के इकलौते जुड़वां कल्प वृक्ष को बचाने की मांग की है। साथ ही महोबा के मेडिकल कॉलेज को तत्काल शुरू करने की मांग की। आपको यह जानकार शायद हैरानी होगी कि बुंदेली समाज द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बुंदेलियों ने रिकार्ड तोड़ 32वीं बार खून से खत लिखा है। बुंदेलखंड समाज के संयोजक तारा पाटकर का मानना है कि अगर बुंदेलखंड को अलग राज्य होगा तो सरकार से आने वाली धनराशि यहां के ग्रामीणों के लिए कही न कही फायदेमंद साबित होगी। ऐसा माना जाता है कि यूपी और एमपी के आधे-आधे हिस्से में बुंदेलखंड आता है, ऐसे में तारा पाटकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अलग राज्य बुंदेलखंड की मांग को लेकर लगातार प्रयासरत है। अब तारा पाटकर के कार्य और उनकी चप्पल न पहनने की जिद पर आपकी क्या राय है? 

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